पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार की रात दिल्ली के AIIMS अस्पताल में निधन हो गया. मनमोहन सिंह के निधन के बाद केंद्र सरकार ने शुक्रवार के सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं. सरकार ने 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार सुबह 11 बजे कैबिनेट की बैठक होगी. डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा.
पूर्व प्रधानमंत्री को गुरुवार की शाम बेहोश होने के बाद AIIMS में एडमिट कराया गया, जहां उनका निधन हो गया. वे लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे थे. इससे पहले भी उन्हें कई बार स्वास्थ्य कारणों से अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका था.
कांग्रेस ने भी रद्द किए कार्यक्रम
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर कांग्रेस ने भी अपने सभी आधिकारिक कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं. कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी के सम्मान में स्थापना दिवस समारोह सहित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सभी आधिकारिक कार्यक्रम अगले सात दिनों के लिए रद्द कर दिए गए हैं. इसमें सभी आंदोलनकारी और आउटरीच कार्यक्रम शामिल हैं. पार्टी के कार्यक्रम 3 जनवरी, 2025 को फिर से शुरू होंगे. शोक की इस अवधि के दौरान पार्टी का झंडा आधा झुका रहेगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया. उन्होंने X पर एक पोस्ट में लिखा कि भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोक मना रहा है. साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वे एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने. उन्होंने वित्त मंत्री सहित विभिन्न सरकारी पदों पर काम किया और वर्षों तक हमारी आर्थिक नीति पर अपनी गहरी छाप छोड़ी. संसद में उनके हस्तक्षेप भी बहुत ही व्यावहारिक थे, हमारे प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए.
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पीएम मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. मनमोहन सिंहजी और मैं उस समय नियमित रूप से बातचीत करते थे जब वे प्रधानमंत्री थे और मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था. हम शासन से संबंधित विभिन्न विषयों पर गहन विचार-विमर्श करते थे, उनकी बुद्धिमत्ता और विनम्रता हमेशा देखने को मिलती थी. दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं डॉ. मनमोहन सिंह जी के परिवार, उनके मित्रों और असंख्य प्रशंसकों के साथ हैं.
मैंने अपने गुरु को खो दिया: राहुल गांधी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह के निधन पर दुख जताते हुए एक्स पर लिखा, मनमोहन सिंह जी ने असीम बुद्धिमत्ता और निष्ठा के साथ भारत का नेतृत्व किया. उनकी विनम्रता और अर्थशास्त्र की गहरी समझ ने देश को प्रेरित किया. श्रीमती कौर और परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना. मैंने एक गुरु और मार्गदर्शक खो दिया है. हममें से लाखों लोग जो उनके प्रशंसक थे, उन्हें अत्यंत गर्व के साथ याद करेंगे.
मनमोहन सिंह की जिंदगी में 26 का अजब संयोग, जन्म से मृत्यु तक नहीं छूटा साथ, जानिए उनके गांव की कहानी
भारतीय ‘अर्थव्यवस्था के भीष्म पितामह’ माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जिंदगी कई ऐसे किस्सों से भरी हुई है, जिस पर यकीन करना मुश्किल होता है. लेकिन उनकी जिंदगी में एक अजब संयोग रहा, जो जन्म से लेकर मृत्यु तक उनके साथ रहा. यह संयोग था 26 का अंक. मनमोहन सिंह का जन्म भी 26 को ही हुआ था और उनका निधन भी इसी तारीख को हुआ.
मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था. यह हिस्सा अब पाकिस्तान में है. देश का बंटवारा हुआ तो मनमोहन सिंह का परिवार अमृतसर आकर बस गया. यहीं से उनका असली करियर शुरू हुआ. मनमोहन सिंह पाकिस्तान के जिस गाह में जन्मे, वहां उनके नाम पर एक स्कूल भी है. इसे ‘मनमोहन सिंह गवर्नमेंट बॉयज स्कूल’ के नाम से जाना जाता है. इसी स्कूल में डॉ. मनमोहन सिंह ने अपनी शुरुआती पढ़ाई की थी. कभी अंधेरे में जीने वाला यह गांव आज आदर्श गांव बन चुका है. यहां के लोग मनमोहन सिंह को धन्यवाद देते नहीं थकते.
पैसों की तंगी से जूझना पड़ा
गाह गांव से अमृतसर पहुंचे मनमोहन सिंह की असली कहानी यहां से शुरू हुई. पंजाब यूनविर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद वे कैंब्रिज गए. दुनिया की सबसे मशहूर यूनविर्सिटी ऑक्सफोड से डीफिल किया. मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने अपनी किताब में तब की हालत के बारे में लिखा है. बताया है कि उन्हें किस तरह पैसों की कमी से जूझना पड़ा. फिर भी उन्होंने ईमानदारी का दामन नहीं छोड़ा. शायद यही उनके काम आया कि वे भारत के गर्वनर, वित्तमंत्री और फिर प्रधानमंत्री के रूप में देश की इकोनॉमी को नई दिशा दे पाए.
पहले भारतीय जो दूसरी बार पीएम बने
मनमोहन सिंह के नाम अनेक उपलब्धिया हैं. वे गर्वनर बने, वित्तमंत्री बने और प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे. इनता ही नहीं, जवाहरलाल नेहरू के बाद वे पहले भारतीय थे, जो लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने. अपने फैसलों को लेकर वे काफी अडिग रहे. अमेरिका से न्यूक्लियर डील को उन्होंने देश के लिए जरूरी समझा तो अपनी सरकार दांव पर लगा दी. वे आम सहमति के पक्षधर थे. लेकिन उनकी सबसे खास बात उनकी सादगी में थी. अब 26 दिसंबर 2024 को यह नेता सदा के लिए सो गया.
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