बच्चों की थाली से पौष्टिक आहार गायब, सरकार पोषण माह मनाने कर रहा दिखावा: विनोद चंद्राकर

विनोद

* मीड डे मील संचालित करने वाली समूहों को 3 माह से नहीं मिली राशि

महासमुंद। पूर्व संसदीय सचिव व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार वर्तमान में पोषण माह मना रहा है। इसके तहत स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों में जा-जाकर बच्चों का वजन लिया जा रहा है। जो केवल एक राजनीतिक जुमलाबाजी के अलावा कुछ नहीं है।

श्री चंद्राकर ने कहा कि एक तरफ सरकार पोषण माह मनाने का दिखावा कर रहा है। वहीं, दूसरी ओर स्कूलों में संचालित हो रहे मध्यान्ह भोजन की राशि समूह की महिलाओं को नहीं मिल पा रही है। सरकार द्वारा शिक्षा सत्र 2024-25 शुरू होने के बाद से अब तक 3 माह की राशि मीड डे मील (मध्यान्ह भोजन) संचालित कर रहे समूह की महिलाओं को नहीं दी गई है। इसके चलते स्कूलों में बच्चों को मध्यान्ह भोजन में भरपूर पोषक आहार नहीं मिल पा रहे हैं। मध्यान्ह भोजन का संचालन करने वाली महिलाओं का कहना है कि वे कर्ज लेकर किराना तथा जेवर गहने गिरवी रखकर सब्जी, तेल, चावल आदि खरीदकर बच्चों को खाना खिला रही है।

राशि नहीं मिलने से बच्चों के थाली से कहीं सब्जी गायब है, तो कहीं दाल, और तो और इन बच्चों को मीनू के अनुसार पेट भर भोजन भी नहीं मिल रहा। बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा प्राथमिक स्तर पर मिलता है। इन बच्चों की आयु 5 से 11 वर्ष के बीच रहता है। इस आयु में बच्चों को पोषक आहार की अधिक आवश्यकता होती है। शासकीय स्कूलों में बच्चे घर से भोजन लेकर नहीं पहुंचते। दोपहर का मध्यान्ह भोजन ही इनके लिए पेट भरने का साधन होता है। ऐसे में मीनू के अनुसार मध्यान्ह भोजन नहीं मिलना सरकार के पोषण माह की पोल खोल रही है।

श्री चंद्राकर ने कहा कि भाजपा के विगत 15 साल के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ में 37 प्रतिशत से अधिक बच्चे कुपोषित और 41 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हो गई थीं। कुपोषित बच्चों को गुणवत्ताहीन आहार दिया जाता रहा है। पौष्टिक आहार और पोषक तत्वों की सप्लाई भी कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गई थी।

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद आंगनबाड़ियों में पाैष्टिक आहार, संतुलित आहार का वितरण तथा शिशुवती, गर्भवती महिलाओं, किशोरी बालिकाओं को जागरूक कर प्रदेश को कुपोषण से मुक्त करने की दिशा में विशेष पहल हुई। पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा कुपोषण खत्म करने के लिए चलाई जा रही योजनाओं के फंड में केंद्र सरकार ने कटौती कर दिया। वर्तमान में सरकार फिर एक बार पोषण माह मनाकर राजनीतिक जुमलाबाजी कर रही है।

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