डिजिटल क्रॉप सर्वे का मौका मुआयना करने लैलूंगा के गांवों में पहुंचे कलेक्टर

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त्रुटिरहित गिरदावरी के लक्ष्य के साथ करें काम-कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल

लैलूंगा ब्लॉक में डिजिटल क्रॉप सर्वे का चल रहा पायलट प्रोजेक्ट

खसरावार बोए गए फसल की जानकारी जियो टैग फोटो के साथ रहेगी स्टोर

रायगढ़, 28 सितम्बर 2024/ रायगढ़ के लैलूंगा ब्लॉक में इस बार डिजिटल क्रॉप सर्वे चल रहा है। किसानों के खेत के क्षेत्रफल और लगी फसल का अपडेट खेत से सीधे सॉफ्टवेयर में फोटो के साथ अपलोड किया जा रहा है। इस पायलट पायलट प्रोजेक्ट में गांव के शिक्षित युवाओं को सर्वेयर के रूप में शामिल किया गया है। कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल लैलूंगा के विभिन्न गांवों में पहुंचकर इस डिजिटल क्रॉप सर्वे का मौका मुआयना किया। सीईओ जिला पंचायत श्री जितेन्द्र यादव भी इस दौरान साथ रहे।

कलेक्टर श्री गोयल ने ब्लॉक के लारीपानी, सोहनपुर, मोहनपुर और झरन में डिजिटल क्रॉप सर्वे का निरीक्षण किया। यहां उन्होंने किसानों के खेतों में पहुंचकर वहां सर्वेयर द्वारा किए जा रहे कामों को देखा। यहां उन्होंने जियो रेफरेंसिंग आधारित सॉफ्टवेयर में सर्वे के दौरान भरी जाने वाली जानकारी और उसके वेरिफिकेशन की प्रक्रिया की जानकारी सर्वेयर और पटवारी से ली और मौके पर ही एक सर्वे करवाकर उसकी जानकारी सॉफ्टवेयर में दर्ज करवाई। जिसका मिलान पटवारी द्वारा किए जा रहे गिरदावरी से भी किया गया। कलेक्टर श्री गोयल ने इस दौरान गांवों में चल रही गिरदावरी का निरीक्षण किया। उन्होंने पटवारियों से गिरदावरी का काम पूरी संजीदगी के साथ त्रुटिरहित तरीके से करने के निर्देश दिए।

इस दौरान डिप्टी कलेक्टर श्री शशिकांत कुर्रे, एसडीएम लैलूंगा सुश्री अक्षा गुप्ता, उप संचालक कृषि श्री अनिल वर्मा, तहसीलदार श्री शिवम पाण्डेय, सीईओ जनपद श्री प्रेम सिंह मरकाम सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।

क्या है डिजिटल क्रॉप सर्वे

डिजिटल क्रॉप सर्वे में खसरे का का रकबा और उसमें लगी फसल की जानकारी सॉफ्टवेयर में डिजिटली स्टोर की जाती है। यह सॉफ्टवेयर गूगल अर्थ से इंटीग्रेटेड है और जीपीएस आधारित है। इसमें तीन चरण में डाटा तैयार किया जाता है। सर्वेयर के द्वारा खेतों में जाकर सर्वे जानकारी और जियो टैग फोटो के साथ अपलोड की जाती है। पटवारी यहां पर्यवेक्षक की भूमिका में होते हैं जो अपलोड की गई जानकारी को क्रॉस चेक करते हैं एवं प्रथम स्तर पर सत्यापन करते हैं। यदि सर्वेयर द्वारा फिर से गलत एंट्री की जाती है तो इसका द्वितीय स्तर पर इसका सत्यापन आरआई करते हैं। तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार इसकी जांच करते हैं।

यह पूरा काम भारत सरकार के सॉफ्टवेयर में हो रहा है। इसमें खेत में क्या बोया गया है फसल की जिंस का नाम, मिश्रित फसलों की स्थिति में सभी फसलों का अनुमानित रकबा, सिंचित-असिंचित फसल, एकवर्षीय या बहुवर्षीय, सीजनल फसल की जानकारी भरी जाएगी। सर्वेयर द्वारा साफ्टवेयर में बोये गये जिंस व एकल व मिश्रित फसल की स्थिति में बोये गये फसल या पड़त रकबा की प्रविष्टि करेगा। जियो रिफरेंस होने के कारण खेत में जाने पर खसरा नंबर के अनुसार किसान और रकबे की जानकारी सॉफ्टवेयर में आ जाएगी। यहां सर्वे के पश्चात लेटिट्यूड और लांगीट्यूड आधारित फोटो खींच कर अपलोड करना होगा। इस वर्ष जिले के लैलूंगा ब्लॉक में यह पायलट प्रोजेक्ट की तरह शुरू हुआ है।

गांव के शिक्षित युवाओं को सर्वेयर के रूप में काम करने का मिला मौका

इस पायलट प्रोजेक्ट में गांव के ऐसे शिक्षित युवाओं को सर्वेयर के रूप में जोड़ा गया है जो न्यूनतम दसवीं पास हो और मोबाइल/कंप्यूटर चलाने का बुनियादी ज्ञान रखते हों। डिजिटल क्रॉप सर्वे के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया गया है। हर सर्वे के लिए उन्हें निश्चित राशि भी दी जा रही है।

ऑयल पॉम की खेती देखने भी पहुंचे

कलेक्टर श्री गोयल ने लैलूंगा निरीक्षण के दौरान मोहनपुर में किसान द्वारा किए जा रहे ऑयल पॉम की खेती का भी निरीक्षण किया। यहां किसान श्री जयप्रकाश वैष्णव ने 1.5 एकड़ में ऑयल पॉम के पौधे लगाए हैं। कलेक्टर श्री गोयल ने इससे होने वाले उपज और आमदनी के बारे में जानकारी ली। बताया गया कि गोदरेज कंपनी के साथ टाइअप किया गया है। वो पूरी फसल खरीदेंगे। कलेक्टर श्री गोयल ने इसके साथ यहां उद्यानिकी विभाग की नर्सरी का भी निरीक्षण किया। यहां विभाग द्वारा गेंदे के फूलों के साथ आम सहित दूसरे फलदार पौधे भी लगाए हैं।

 

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