नवरात्र का पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू को समझने और उसे बेहतर बनाने का सुनहरा अवसर होता है। मां दुर्गा के नौ रूप हमें हर दिन प्रेरित करते हैं, कि हम अपने जीवन को किस तरह से बेहतर बना सकते हैं। मां दुर्गा के नौ रूप सिर्फ आध्यात्मिक पूजन का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि हर व्यक्ति के जीवन के अलग-अलग पहलुओं में विद्यमान रूप हैं।
जो हमें सिखाते हैं कि जीवन के हर क्षेत्र में चाहे वह व्यक्तिगत हो या सार्वजनिक हम किस तरह से इन शक्तियों को पहचान कर उनका सही उपयोग कर सकते हैं। आधुनिक समय में पौराणिक कथाओं की प्रासंगिकता पर चिंतनशील वरिष्ठ पत्रकार डॉ. नीरज गजेंद्र के नज़रिए से समझने की कोशिश करते हैँ कि इन नौ शक्तियों का हमारे दैनिक और सार्वजनिक जीवन में कैसे उपयोग किया जा सकता है –
धैर्य और स्थिरता का सफल रूप –
मां शैलपुत्री यह नवरात्र में मां दुर्गा का पहला रूप है, जो हमें सिखाती हैं कि चाहे कैसी भी परिस्थितियां हों, हमें अपने लक्ष्य पर दृढ़ रहना चाहिए। जब हम जीवन में किसी भी बाधा के बावजूद अपनी मंजिल की ओर बिना रुके आगे बढ़ते हैं, तो सफलता निश्चित होती है। मां शैलपुत्री यह संदेश देती है कि अपने अंदर की इस शक्ति को पहचानो और कभी हार मत मानो। संकट के समय में धैर्य और स्थिरता से ही समाज में विश्वास कायम किया जा सकता है।
ज्ञानमार्ग की मंजिल का संपूर्ण रूप –
मां ब्रह्मचारिणी का जीवन हमें यह सिखाता है कि ज्ञान सबसे बड़ी शक्ति है। निरंतर मेहनत और समर्पण ही व्यक्ति को मंजिल तक पहुंचाता है। सीखने और आगे बढ़ने की प्रक्रिया को कभी रोको नहीं चाहिए, क्योंकि ज्ञान ही वह निधि है, जो सपनों को साकार करेगा। यह समझना चाहिए कि अनुशासन और परिश्रम से सकारात्मक बदलाव आता है। ब्रह्मचारिणी का यह गुण व्यक्ति के सार्वजनिक जीवन में स्थायित्व और विश्वसनीयता लाता है।
न्याय और सुरक्षा का प्रेरक रूप –
मां चंद्रघंटा हमें सिखाती हैं कि जीवन में भय से ऊपर उठें। अगर डरते रहेंगे, तो कभी सपनों को नहीं पा सकते। आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने पर कोई डराने की कोशिश नहीं करेगा। अन्याय और असमानता के खिलाफ आवाज उठाने का संदेश माता का यह रूप देती है। साहस के बिना समाज में परिवर्तन लाना असंभव है। मां दुर्गा का चंद्रघंटा रूप हमें साहस के साथ हर सार्वजनिक पदाधिकारी को न्याय और सुरक्षा के लिए प्रेरित करता है।
सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र रूप-
मां कूष्मांडा बताती हैं कि जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण से बड़ा कोई दूसरा वरदान नहीं है। हर समस्या का हल है। जो अपनी रचनात्मकता को पहचान गया उसकी हर समस्या दूर होगी। सकारात्मकता ही वह शक्ति है, जो हमारे जीवन को नया आयाम दे सकती है। समाज में नए विचार और योजनाओं का निर्माण कर, समस्याओं का समाधान करने की ओर ईशारा करती है मां का यह रूप। कूष्मांडा ही सकारात्मक ऊर्जा से समाज के विकास में मदद करती है।
परिवार और समाज का प्रेम रूप –
मां स्कंदमाता हमें सिखाती हैं कि जब आप दूसरों के साथ प्रेम और सहयोग से रहते हैं, तो जीवन में शांति और संतुलन आता है। चाहे कितना भी व्यस्त जीवन क्यों न हो, अपने परिवार और समाज के लिए समय निकालो। न केवल अपने लिए बल्कि दूसरों के जीवन को भी बेहतर बनाने की कोशिश करो। प्रेम और सेवा ही वह निधि है, जो जीवन को सच्चे अर्थों में सफल बनाती है। समाज में एक अच्छा नेतृत्वकर्ता वही होता है, जो सेवा की भावना से काम करता है।
संघर्ष की शक्ति का सफल रूप –
मां कात्यायनी हमें सिखाती हैं कि जीवन में संघर्ष जरूरी है। बिना संघर्ष के कोई भी महान सफलता नहीं मिलती। अपने हक और सत्य के लिए लड़ना आना चाहिए। अगर कोई कठिनाई आए, तो उससे भागने के बजाए सामना करने का गुण देती है यह रूप। संघर्ष ही वह शक्ति है, जो तुम्हें न केवल अपने लक्ष्यों तक पहुँचाएगी, बल्कि जीवन में सम्मान और न्याय की प्राप्ति कराएगी। समाज में न्याय सुनिश्चित करने के लिए व्यक्ति को अन्याय के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए।
डर को हराने का विजयी रूप –
मां कालरात्रि हमें यह संदेश देती हैं कि जीवन में सबसे बड़ी बाधा हमारा डर है। अगर आप अपने डर से मुक्ति पा लेते हैं, तो दुनिया की कोई ताकत आपको हरा नहीं सकती। अगर डर को हराओगे, तो जीत पक्की होगी। जीवन में भय से बड़ी कोई और चुनौती नहीं होती। हमें सामाजिक चुनौतियों और अवरोधों का निर्भीकता से मुकाबला करते हुए निर्णय लेना चाहिए। यह गुण समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए जरूरी है। डर से मुक्ति हासिल करने का रूप है मां कालरात्रि।
शांति और संतुलन का विश्वास रूप –
मां महागौरी का जीवन हमें सिखाता है कि शांति और पवित्रता से जीवन को संतुलित किया जा सकता है। चाहे दुनिया कितनी भी व्यस्त क्यों न हो, अपने मन की शांति को बनाए रखना चाहिए। जो लोग शुद्ध विचार रखते हैं, उन्हें जीवन में सफलता और संतोष अवश्य मिलता है। मानसिक और भावनात्मक शांति वह निधि है, जो तुम्हें संतुलित और खुशहाल बनाए रखेगी। महागौरी का यह गुण समाज में विश्वास और पारदर्शिता के साथ शांति और संतुलन को मिलाता है।
लगन और मेहनत का सिद्ध रूप –
मां सिद्धिदात्री हमें अपने काम को पूरी मेहनत और लगन के साथ करने की प्रेरणा देती है। बताती हैं कि जीवन में छोटी-छोटी सफलताएं ही बड़ी सिद्धियों की ओर ले जाती हैं। जो अंदर की पूर्णता को पहचान कर क्षमता का पूरा इस्तेमाल करता है सफलता उसी को मिलती है। व्यक्ति का अंतिम उद्देश्य समाज को समृद्ध और सफल बनाना होता है। सिद्धिदात्री का यह गुण उन्हें अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रेरित करता है, ताकि समाज में सकारात्मक बदलाव हो सके।
नवरात्र का पर्व केवल उपवास और पूजा का समय नहीं है, बल्कि यह आत्मनिरीक्षण और आत्मसुधार का अवसर है। मां दुर्गा के नौ रूप हमें जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन देते हैं। ये नौ रूप हमारे भीतर पहले से मौजूद हैं। व्यक्तिगत जीवन में ये हमारे लिए प्रेरणा और शक्ति के स्रोत हैं, वहीं सार्वजनिक जीवन में इन्हें अपनाकर हम समाज को एक बेहतर दिशा दे सकते हैं। ये नौ शक्तियाँ हमें सिखाती हैं कि अगर हम इन्हें सही तरीके से अपने जीवन में अपनाएं, तो न सिर्फ हमारा व्यक्तिगत जीवन समृद्ध होगा, बल्कि हम समाज में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।