Saptami Vrat kab hai: जानें किस दिन है सप्तमी? अष्टमी और नवमी पर कब करें कन्या पूजन

Navratri 2024

Saptami Vrat 2024 kab hai: सनातन धर्म में नवरात्रि के 9 दिन खास होते हैं लेकिन अष्टमी, नवमी और दशमी ये तीनों ही बहुत ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं। ऐसे में जो लोग अष्टमी मनाते हैं अर्थात जिन लोगों के घर में अष्टमी के दिन कन्या पूजन होता है वे सप्तमी तक व्रत रखते हैं और जो लोग नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं वे अष्टमी तक व्रत रखते हैं। लेकिन इस बार तिथि को लेकर लोगों के मन में बहुत कंफ्यूजन है। यदि आप अष्टमी के दिन कन्या पूजन करने वाले हैं तो ऐसे में यह जानना तो बनता है कि सप्तमी का व्रत किस तिथि को रखा जाएगा।

किस दिन रखें सप्तमी का व्रत?

बता दें कि नवरात्रि की सप्तमी 10 अक्टूबर दिन गुरुवार को मनाई जा रही है यानी आपको सप्तमी का व्रत इसी दिन रखना होगा। इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मान्यता है कि यदि मां कालरात्रि की पूजा की जाए तो इससे हर कष्ट से मुक्ति मिल जाती है।

बता दें कि द्रिक पंचांग के मुताबिक, 10 अक्टूबर दिन बुधवार को ब्रह्म मुहूर्त 4:39 पर शुरू हो रहा है और 5:29 पर खत्म हो रहा है। यदि अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो सुबह 11:44 से 12:30 तक है। वहीं विजय मुहूर्त दोपहर 2:03 से 2:50 तक रहेगा।

नवरात्रि के सप्तमी की पूजा राहुकाल के वक्त ना करें। 10 अक्टूबर को राहुकाल दोपहर 1:34 से 3:01 तक रहेगा। ऐसे में इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य करने से बचें।

बता दें कि महाष्टमी 10 अक्टूबर दोपहर 12:31 पर शुरू हो रही है और इसका समापन 11 अक्टूबर को दोपहर 12:06 पर होगा यानी इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी।

पंचांग के अनुसार इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में 10 अक्तूबर को सप्तमी और अष्टमी एक ही दिन पड़ रही है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार जब भी सप्तमी-अष्टमी एक दिन होती है, तो दुर्गा अष्टमी का उपवास नहीं रखना चाहिए। इसलिए 11 अक्तूबर को अष्टमी-नवमी साथ में मनाई जाएगी। ऐसे में आइए जानते हैं कि नौ दिनों का व्रत रख रहे साधक व्रत का पारण कब और कैसे कर सकते हैं।

व्रत पारण का समय

पंचांग के अनुसार 11 अक्तूबर 2024 को अष्टमी और नवमी एक दिन है। ऐसे में 11 अक्तूबर को मां महागौरी और देवी सिद्धिदात्री की पूजा भी कर सकते हैं। इस दौरान 11 अक्तूबर को दोपहर 12.06 तक अष्टमी तिथि है। इसलिए अष्टमी को व्रत का पारण करने वाले लोग इस मुहूर्त में उपवास खोल सकते हैं। इसके बाद की तिथि नवमी है।

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