रायपुर| छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा नायक। शहीद वीर नारायण सिंह। यादगार वीरता और बलिदान का प्रतिरूप। देश के स्वतंत्रता संग्राम में इस आदिवासी परिवार से अकेले वीर नारायण सिंह ही नहीं उनके परिवार के अन्य सदस्यों के बलिदान की कहानी भी सामने आई है। छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक नया पन्ना जोड़ा है सीनियर भाजपा नेताआ और महासमुंद के पूर्व सांसद चुन्नीलाल साहू ने। उनके शोध और ओडिशा-झारखंड यात्रा के दौरान जुटाई गई जानकारी ने स्वतंत्रता आंदोलन के एक भूले हुए अध्याय को उजागर किया है।
शहीद वीर नारायण सिंह के परिवार के छह सदस्यों ने भी अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की थी। उनके ससुर माधो सिंह को संबलपुर जेल के पास 31 दिसंबर 1858 को फांसी दी गई। उनके चार साले—हटे सिंह, बैरी सिंह, गोविंद सिंह और कुंजल सिंह—को आजीवन कारावास की सजा दी गई, जिनकी जेल में ही मौत हो गई। वहीं उनके एक अन्य साले ऐसी सिंह को सुरंग में जिंदा जलाकर मार दिया गया। यह जानकारी रांची और ओडिशा के बरगढ़ जिले के रिकॉर्ड और पुरानी किताबों में मिली है। चुन्नीलाल साहू ने ओडिशा के प्रोफेसर्स द्वारा लिखी किताबों और ऐतिहासिक दस्तावेजों की जांच कर इस तथ्य को उजागर किया। उनका कहना है कि यह इतिहास छत्तीसगढ़ के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होना चाहिए ताकि बच्चों को अपने नायकों के संघर्ष और बलिदान के बारे में पता चले।
यह खुलासा न केवल छत्तीसगढ़ के गौरवशाली इतिहास को और समृद्ध करता है, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को एक नई पहचान भी देता है। यह कहानी उन अनगिनत गुमनाम योद्धाओं को सलाम है, जिनके बलिदान के बिना आजादी अधूरी होती।
कालापानी : अनछुआ इतिहास
शहीद वीर नारायण सिंह के साले हटे सिंह को अंग्रेजों ने रायपुर के पास पकड़ा और उन्हें कालापानी की सजा सुनाई। वह छत्तीसगढ़ से कालापानी की सजा में जाने वाले पहले व्यक्ति थे। जिन्होंने अंडमान की जेल में दम तोड़ा। यह बलिदान छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता संग्राम का एक अनमोल और अनजाना हिस्सा है।
ओडिशा से जुड़ा इतिहास
चुन्नीलाल साहू ने बताया कि आजादी से पहले महासमुंद का कुछ हिस्सा ओडिशा से जुड़ा था। वीर नारायण सिंह और उनका परिवार इन इलाकों में सक्रिय थे। 1857 की क्रांति के बाद उनके परिवार ने भी अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाए। अंग्रेजों ने इस परिवार की जानकारी को जानबूझकर ओडिशा के रिकॉर्ड में छिपा दिया, जिससे छत्तीसगढ़ में उनके योगदान को भुला दिया गया।
स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग
साहू ने कहा है कि इन तथ्यों को राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कराने के लिए वह मुख्यमंत्री से मिलेंगे। यह पहल शहीद वीर नारायण सिंह के परिवार के अनसुने बलिदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा सकती है।
होम पेज पर जाएं और अपने आसपास की खबरों को पाएं…
ज्योतिष से संबंधित खबरों के लिए यहां क्लिक करे
https://www.facebook.com/webmorcha