महासमुंद. स्कूली बच्चों को राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से परिचित कराने के लिए शैक्षणिक भ्रमण आयोजित किए जाते हैं। प्राइमरी स्कूल के बच्चों को बाहर ले जाना हमेशा आसान नहीं होता। वे ऐसी यात्राओं से वंचित रह जाते हैं। शासकीय अभ्यास प्राइमरी स्कूल महासमुंद के प्रधान पाठक डेमेश्वरी गजेंद्र ने बच्चों के लिए नवाचार किया। उन्होंने छठी शताब्दी में बने सिरपुर के प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर का प्रतिरूप तैयार करवाया। इस पहल का उद्देश्य बच्चों को जिले की समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर से अवगत कराना है। यह प्रयास बच्चों को अपनी धरोहरों के प्रति जागरूक बनाने का सराहनीय कदम है। मॉडल ने बच्चों को इतिहास को नजदीक से महसूस करने का मौका दिया है। इससे उनमें न केवल सीखने की रुचि बढ़ी, बल्कि अपनी जड़ों को पहचानने की समझ भी विकसित हुई।
स्कूल में रखे गए मंदिर के मॉडल ने बच्चों को उत्साहित किया। उन्होंने इसे देखकर कहा कि उन्हें ऐसा महसूस हो रहा है जैसे वे स्वयं लक्ष्मण मंदिर के सामने खड़े हैं। शिक्षिका ममता डड़सेना और सरिता साहू ने बच्चों को मंदिर के इतिहास और उसकी विशेषताओं के बारे में बताया। लक्ष्मण मंदिर छत्तीसगढ़ की प्राचीन कला और स्थापत्य का बेजोड़ उदाहरण है। यह भारत के सबसे पुराने ईंट निर्मित मंदिरों में से एक है। इसे 6वीं शताब्दी में दक्षिण कोसल के राजा हर्षगुप्त की रानी वासटा देवी ने भगवान विष्णु के लिए बनवाया था। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है।
मॉडल ने बढ़ाई बच्चों की जिज्ञासा
प्रधान पाठक डेमेश्वरी गजेंद्र का कहना है कि छोटे बच्चों को शैक्षणिक भ्रमण पर ले जाना कठिन होता है। ऐसी स्थिति में मंदिर का मॉडल उनके लिए बेहतर विकल्प है। उन्होंने बताया कि बच्चों को डिजिटल माध्यमों से कई ऐतिहासिक स्थलों के बारे में जानकारी मिलती है। लेकिन प्रतिरूप देखकर उनकी जिज्ञासा और रुचि बढ़ती है।
सिरपुर की ऐतिहासिक महत्ता
सिरपुर छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख पुरातात्विक स्थल है। यह कभी दक्षिण कोसल की राजधानी था। यहां लक्ष्मण मंदिर के साथ-साथ कई बौद्ध विहार और शिव मंदिर स्थित हैं। सिरपुर का सांस्कृतिक वैभव देश-विदेश में प्रसिद्ध है।
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