आलू-भांठा खाकर महासमुंद जिले से पलायन, विभाग की मौन स्वीकृति..

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महासमुंद। जिले से हजारों की संख्या में अब तक पलायन हो चुका है। पलायन होने और जाने की पुख्ता जानकारी होने के बाद भी संबंधित विभाग मौन है। जिले में सबसे अधिक बागबाहरा और पिथौरा ब्लॉक से हो रहा है। आज शुक्रवार रात को इन दोनों ब्लॉकों से सैकड़ों श्रमिकों को बाहर ले जाने की तैयारी है। जानकारी तो ये भी है कि बागबाहरा ब्लॉक के पटपरपाली-बाम्हनडीह में 200 लोगों के लिए भांठा और आलू की सब्जी बनाई जा रही है।

इन श्रमिकों को ले जाने के लिए तीन लक्जरी बस तैयार है। इसके लिए आज शुक्रवार की रात टाइम 10 से 11 बजे निर्धारित है जो यूपी यात्रा के लिए रवाना हो जाएंगे। संकट तो इस बात है हजारों ग्रामीण गांव को छोड़ रहे हैं आने वाले समय में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होना है। लेकिन, इससे किसी को कोई भी सरोकार नहीं है।

जानकारी के बाद भी कार्रवाई नहीं

संबंधित विभाग को पलायन में ले जाने की पुख्ता जानकारी देने के बाद भी अफसर रजाई ओढ़ कर सोए हुए हैं। अभी हाल में 21 नवंबर को श्रम विभाग के श्रम पदाधिकारी डीएन पात्र ने प्रेस नोट जारी करते हुए वर्तमान में जिले के श्रमिकों द्वारा अधिक मजदूरी के लिए अन्य राज्यों में पलायन को देखते हुए ने श्रम निरीक्षकों और श्रम उप निरीक्षकों को जिले के प्रमुख रेलवे स्टेशनों (महासमुंद, बागबाहरा, कोमाखान) और बस स्टैंडों पर सघन निरीक्षण करने के निर्देश दिए थे।

उन्होंने श्रम निरीक्षकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि जबरन श्रमिकों को ले जाने वाले दलालों और ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। इसके तहत ’’अन्तर्राज्यीय प्रवासी कर्मकार अधिनियम 1979’’ के तहत कानूनी कार्रवाई करने की बात कही थी। इसके अलावा, निरीक्षकों को पलायन करने वाले श्रमिकों के बारे में नियमित रिपोर्ट तैयार कर कार्यालय में प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी भी दी गई है।

अब सवाल उठता है कि अकेले कोमाखान क्षेत्र और ओडिशा सीमा से लगे गांवों के हजारों श्रमिक पलायन कर चुके हैं। बता दें, कोमाखान क्षेत्र ही नहीं पूरे जिले के सबसे बड़े भट्‌ठा दलाल जगत कुमार गुप्ता का कहना है कि नीचे से उपर तक मेरा सेटिंग है, मेरा श्रमिक को कोई नहीं रोक सकता।

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महासमुंद जिले में पलायन के लिए बस तैयार

यह खबर महासमुंद जिले में पलायन की गंभीर स्थिति को दर्शाती है, जो न केवल श्रमिकों के जीवन में अस्थिरता ला रही है, बल्कि स्थानीय प्रशासन और संबंधित विभागों की उदासीनता को भी उजागर करती है।

मुख्य बिंदु:

बड़ी संख्या में पलायन:

जिले के बागबाहरा और पिथौरा ब्लॉकों से बड़े पैमाने पर श्रमिकों का पलायन हो रहा है। खासकर आलू और भांठा की सब्जी का उल्लेख यह दर्शाता है कि श्रमिक न्यूनतम साधनों के साथ यात्रा करने को मजबूर हैं।

प्रशासन की निष्क्रियता:

श्रम विभाग द्वारा दिए गए निर्देश और कानूनी प्रावधानों के बावजूद जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। दलालों और ठेकेदारों का सक्रिय होना और उनका यह दावा कि “उन्हें कोई नहीं रोक सकता,” प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है।

आने वाले चुनाव और प्रभाव:

पंचायत चुनाव जैसे महत्वपूर्ण स्थानीय मुद्दे पर ध्यान न देना इस बात का संकेत है कि पलायन ग्रामीण सामाजिक संरचना को किस हद तक प्रभावित कर रहा है।

सरकारी दिशा-निर्देश और विफलता:

श्रम निरीक्षकों को नियमित रिपोर्ट प्रस्तुत करने और कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन अब तक इनका पालन नहीं हो पाया है।

क्या करना चाहिए?

तत्काल कार्रवाई:

पलायन रोकने के लिए दलालों और ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाए जाने चाहिए।

स्थानीय रोजगार के अवसर:

प्रशासन को रोजगार गारंटी योजनाओं, कौशल विकास और छोटे उद्योगों के माध्यम से श्रमिकों को रोजगार के बेहतर विकल्प देने की दिशा में काम करना चाहिए।

जन जागरूकता:

श्रमिकों को उनके अधिकारों और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि वे पलायन के बजाय स्थानीय स्तर पर जीवनयापन कर सकें।

निगरानी तंत्र को मजबूत बनाना:

रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों, और सीमाई क्षेत्रों पर प्रभावी निगरानी के लिए टेक्नोलॉजी और संसाधनों का उपयोग बढ़ाना चाहिए।

यह समस्या केवल महासमुंद जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के कई हिस्सों में प्रवासी श्रमिकों के साथ जुड़ी एक बड़ी चुनौती है। प्रशासन, समाज और संस्थानों को मिलकर इस दिशा में कार्य करना होगा।

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पटपरपाली पंचायत के सामने शराब पीते हुए पलायनकर्ता श्रमिक

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