आज रात होलिका दहन होगी। इसके बाद कल यानी 14 मार्च को रंगों का त्योहार होली मनाई जाएगी। हम बात करने जा रहे हैं होलिका दहन की सुबह और होली के दिन की शुरुआत के पहले होलिका दहन के पास जाना कितना शुभ है और शरीर के लिए कितना फायदेंमंद है, ये तो विज्ञान भी इसका समर्थन करता है। आइए जानते हैं होलिका दहन की सुबह परिक्रमा कैसे करना चाहिए है और हमे अपने नाम के अनुसार किन रंगों का उपयोग करना चाहिए।
होलिका दहन परिक्रमा का वैज्ञानिक कारण
अब बात करते हैं होलिका दहन के बाद परिक्रमा का वैज्ञानिक कारण क्या है। दरअसल, शरीर में गर्मी पैदा करने और बैक्टीरिया को मारने के लिए आग बहुत अच्छा ऑप्शन होती है। ऐसे में सर्दियों के समय की बीमारियों को दूर भगाने के लिए होलिका की आग का सहारा लिया जाता है। परिक्रमा करने से शरीर को आग की सेक लगती है और इससे शरीर को फायदा ही होता है।
होलिका दहन का वैज्ञानिक कारण
सनातन धर्म की मानें तो ये होलिका और प्रहलाद की कहानी से जुड़ा है और होली का त्योहार भी उसी कारण से मनाया जाता है। पर यदि वैज्ञानिक कारण की बात करें तो ये माना जा सकता है कि होली के त्योहार के वक्त मौसम का बदलाव होता है और वसंत में नया जीवन भी उत्पन्न होता है। यहां बात हो रही है नए पेड़-पौधों की जो खेतों में उगते हैं। अब ऐसे में कचरे और सूखी पत्तियों आदि को जलाने की जरूरत होती है ताकि नए सिरे से काम शुरू किया जा सके। इसे होली से जोड़कर देखा गया है।
होली पर रंग लगाने का वैज्ञानिक कारण
होली की बात करें तो ये त्योहार उस समय मनाया जाता है जब सर्दियां खत्म होकर गर्मियां शुरू होने वाली होती हैं। ये मौसम के बदलाव को बताता है और पुराने जमाने में लोग सर्दियों के समय रोजाना नहीं नहाते थे। हालांकि, ये तो अभी भी होता है कि लोग सर्दियों के मौसम में रोजाना नहीं नहाते है, लेकिन अभी प्राचीन भारत की बात ही कर लेते हैं। रोजाना ना नहाना और गंदे पानी का इस्तेमाल करना कई तरह के चर्म रोग का कारण बनता था और ऐसे में गर्मियों की शुरुआत से पहले शरीर की अच्छे से सफाई की जरूरत होती थी।
अब प्राचीन भारत में प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता था जैसे हल्दी, चुकंदर के पाउडर आदि से होली खेली जाती थी और इससे ना सिर्फ स्किन की बीमारियों को दूर किया जा सकता था बल्कि ये लोगों को नहाने के लिए मजबूर भी करता था।
होली के गीत गाने का वैज्ञानिक कारण
जब भी मौसम में बदलाव होता है तो आस-पास के वातावरण में भी बदलाव होता है और ऐसे समय में आलस बहुत बढ़ जाता है। ऐसे में होली के गीत, ढोल, मंजीरा आदि ट्रेडिशनल इंस्ट्रूमेंट बजाने से आलस भगाने में मदद मिलती है। कई जगहों पर फाल्गुन के गीत हफ्तों तक गाए जाते हैं और ऐसे में फिजिकल मूवमेंट भी होता है। त्यौहार मनाने का ये तरीका असल में शरीर को ज्यादा एक्टिव करने में मदद करता है।
होली के दिन ये जातक करें इन रंगों का उपयोग
मेष राशि – होली दहन के बाद लाल रंग का वस्त्र पहनकर ‘ओम मंगलाय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए होली के चारों ओर नौ बार परिक्रमा करें. साथ ही होली में सात काली मिर्च अर्पित करें.
वृषभ राशि – होली के चारों ओर गुलाबी रंग का वस्त्र पहनकर ग्यारह बार परिक्रमा करें. ‘ओम शुक्राय नमः’ मंत्र का जाप करके 11 लौंग होली में अर्पित करें.
मिथुन राशि – मिथुन राशि के जातक हरे रंग का वस्त्र पहनकर होली के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें. साथ ही 21 गेहूं और सात चने की दाल लेकर ‘ओम बुधाय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए अर्पित करें.
कर्क राशि – होली के चारों ओर सफेद या गुलाबी रंग का वस्त्र पहनकर ‘ओम चंद्राय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए तीन बार परिक्रमा करें. साथ ही 28 अखंड चावल और तीन मिर्च होली में अर्पित करें.
सिंह राशि – होली के चारों ओर लाल या केसरिया रंग का वस्त्र पहनकर ‘ओम सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए पांच बार परिक्रमा करें. लोबान, उद और ग्यारह गेहूं होली में अर्पित करें.
कन्या राशि – हरे रंग का वस्त्र पहनकर होली के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें. ‘ओम बुधाय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए तीन खाऊ के पत्ते और सात वेलदोडे होली में अर्पित करें.
तुला राशि – गुलाबी रंग का वस्त्र पहनकर होली के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें. साथ ही 21 कपूर की वडियां और ग्यारह लौंग होली में अर्पित करें. साथ में ‘ओम शुक्राय नमः’ मंत्र का जाप करें.
वृश्चिक राशि – लाल रंग का वस्त्र पहनकर होली के चारों ओर ग्यारह बार परिक्रमा करें. साथ ही ‘ओम भौमाय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए 11 लौंग और एक हल्दी होली में अर्पित करें.
धनु राशि – धनु राशि के जातक होली में थोड़ा तिल का तेल और ग्यारह मिर्च अर्पित करें. साथ ही ‘ओम बृहस्पति नमः’ मंत्र का जाप करते हुए नौ बार परिक्रमा करें.
मकर राशि – केसरिया रंग का वस्त्र पहनकर होली के चारों ओर पांच बार परिक्रमा करें. साथ ही काले तिल और ग्यारह कोयले के टुकड़े अर्पित करें. साथ में ‘ओम शनैश्वराय नमः’ मंत्र का जाप करें.
कुंभ राशि – कुंभ राशि के जातक गुलाबी या नीला रंग पहनें. साथ ही ‘ओम शनैश्वराय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए 11 काले तिल और तीन कोयले अर्पित करें.
मीन राशि – मीन राशि के जातक पीला रंग का वस्त्र पहनकर ‘ओम बृहस्पतये नमः’ मंत्र का जाप करते हुए बारह बार परिक्रमा करें. साथ ही पीली या सफेद सरसों और करंजी का तेल अर्पित करें.