अपनी ही पार्टी में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा पूर्व विधायक : विनोद चंद्राकर

विनोद

* शासकीय कर्मचारियों को धमकाना, दुर्व्यवहार करना निंदनीय

महासमुंद। जिले के भाजपा नेता अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। भाजपा में कई गुट उभर आए हैं और हर गुट अपनी सुविधा के अनुसार शासकीय विभागों में दबदबा बनाने की कोशिश कर रहा है। भाजपा का कोई भी नेता जनहित के मुद्दों को लेकर सामने नहीं आ रहे हैं। वर्तमान में जिले भर के विभिन्न कर्मचारी संघों द्वारा लगातार धरना आंदोलन किया जा रहा है। इन कर्मचारियों के जायज मांगों का समर्थन देने के बदले भाजपा के नेता शासकीय दफ्तरों के कार्यों में विघ्न उत्पन्न कर राजनीतिक वर्चस्व बनाने में लगे हैं। उक्त वक्तव्य पूर्व संसदीय सचिव व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने विज्ञप्ति में कही।

श्री चंद्राकर ने आगे कहा कि बीते कुछ दिनों से लगातार शिक्षक संघ, आॅपरेटर संघ, पालिका कर्मचारी संघ, आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ, मितानिनें, स्वास्थ्य कर्मचारी संघ तथा दैवेभो संघ द्वारा अपनी जायज मांगों को लेकर आंदोलन किया जाता रहा है। भाजपा सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में इन कर्मचारियों के मांगों को सरकार बनते ही पूरा करने की बात कही थी। आज साल भर बाद भी कर्मचारियों के मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया। ये कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में इन कर्मचारियों के जायज मांगों को सरकार तक पहुंचाने के बजाय भाजपा के पूर्व विधायक द्वारा शासकीय कर्मचारियों की शिकायत लेकर मंत्रालय तक पहुंचा जा रहा है, जो बेहद शर्मनाक है।

पूर्व विधायक डॉ. विमल चोपड़ा पर कर्मचारियों ने लगाए दबाव बनाने और दुर्व्यवहार के आरोप

श्री चंद्राकर ने कहा कि एसडीएम कार्यालय तथा तहसील कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा कलेक्टर से भाजपा नेता पर शासकीय कार्यों में बाधा डालने, झूठे आरोप में फँसाने तथा दबाव डालकर अनैतिक कार्यों के लिए विवश करने का आरोप लगाकर सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। ये वही नेता है जो शासकीय दफ्तर में अनाधिकृत रूप से जनसमस्या निवारण शिविर लगाकर कर्मचारियों से दुर्व्यवहार करते हैं।

श्री चंद्राकर ने कहा कि राज्य व केंद्र में उनकी सरकार होने के बावजूद भाजपा के स्थानीय बड़े नेता को अपने सरकार पर भरोसा नहीं है। सीएम व विभागीय मंत्री के निर्देश हाेने का हवाला देकर अपना वर्चस्व बढ़ाने शासकीय दफ्तर में वह अपनी मनमानी करने पर तुले हैं। इससे सभी कर्मचारी इस नेता से परेशान हो गए हैं। पार्टी से अलग-थलग पड़े इस नेता की अपनी ही पार्टी में दो काैड़ी का महत्व नहीं है। इसलिए अपना अलग गुट बनाकर यह स्वयंभू नेता अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहा है। शासन-प्रशासन को शासकीय कर्मचारियों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई किया जाना चाहिए। जिससे शासकीय कार्य बिना किसी विघ्न के निर्बाध रूप से चल सके व कर्मचारी भी बिना दबाव के ईमानदारी से अपना काम करें।

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