गढ़ के गोठ: शांत छत्तीसगढ़ की छवि पर गांजे की नशे का धुंआ

डॉ. नीरज गजेंद्र, वरिष्ठ पत्रकार

छत्तीसगढ़, जिसे कभी शांत, संतुष्ट और सरल जीवनशैली के लिए जाना जाता था, अब अपराध और भ्रष्टाचार की नई ऊँचाइयों पर पहुँचता दिख रहा है। राज्य में कोयला, रेत और अन्य खनिजों के अवैध कारोबार के बाद अब गांजे की तस्करी जैसे नशे के धंधे में ख़ास लोगों की भागीदारी ने चिंता का एक नया अध्याय खोल दिया है। हाल ही में यहाँ के एक पूर्व विधायक के परिवार से जुड़े लोगों की गाड़ी में गांजा परिवहन करते पकड़ा जाना, न केवल शासन और प्रशासन की विफलताओं को उजागर करता है, बल्कि इस बात का प्रमाण भी है कि अब अपराध केवल आम लोगों तक सीमित नहीं रहा।

पहले जहाँ आम लोगों की गिरफ्तारी गांजा तस्करी के मामलों में होती थी, अब राजनीतिक और प्रभावशाली परिवारों का नाम आना गंभीर चिंता का विषय है। सवाल यह उठता है कि क्या कानून केवल आम जनता के लिए है। या फिर यह सिर्फ दिखावा बनकर रह गया है। शासन और प्रशासन की निष्क्रियता ने अपराधियों को ऐसा आत्मविश्वास दे दिया है कि अब वे खुलेआम अपनी हरकतों को अंजाम दे रहे हैं।

यह वही छत्तीसगढ़ है, जहाँ की जनता अपने सरल जीवन और मेहनतकश स्वभाव के लिए जानी जाती थी। लेकिन अब, अपराध और नशे का यह फैलता जाल राज्य की छवि को गहरा नुकसान पहुँचा रहा है।

शासन और प्रशासन के दावे सुनिए तो ऐसा लगेगा जैसे सब कुछ ठीक है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयाँ करती है।

सख्त कार्रवाई करेंगे जैसे वाक्य अब रस्म अदायगी से अधिक कुछ नहीं लगते। कार्रवाई होती है, तो सिर्फ उन्हीं पर जो छोटे खिलाड़ी हैं। बड़े नाम और प्रभावशाली लोग अक्सर बच निकलते हैं। शायद प्रशासन भी इस नए अपराध नेटवर्क के खिलाफ अपनी जिम्मेदारी भूल चुका है, क्योंकि उन्हें ऊपर से आदेश नहीं मिलता।

आज समाधान के लिए एक नई सोच की ज़रूरत है। शासन और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि कानून का पालन हर स्तर पर समान रूप से हो। चाहे कोई आम नागरिक हो या खास व्यक्ति, तस्करी में संलिप्त सभी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस को राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त करना जरूरी है। उन्हें स्वतंत्र रूप से जांच करने और दोषियों पर कार्रवाई करने की शक्ति दी जानी चाहिए।नशे के खिलाफ व्यापक जन-जागरण अभियान चलाया जाए। यह केवल पुलिस और प्रशासन का मामला नहीं है, बल्कि समाज को भी जागरूक होना होगा। राजनेताओं को अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा और यदि उनके परिवार या सहयोगी अपराध में संलिप्त पाए जाते हैं, तो उन्हें खुद जिम्मेदारी लेते हुए कार्रवाई का समर्थन करना चाहिए।

छत्तीसगढ़ के शांत और संतोषजनक जीवन पर अपराध और भ्रष्टाचार का धुंआ मंडरा रहा है। यह समय है कि शासन, प्रशासन और समाज मिलकर इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं। अन्यथा, जिस राज्य पर कभी गर्व किया जाता था, वह केवल अपराध और नशे का पर्याय बनकर रह जाएगा।शांत छत्तीसगढ़ की छवि पर गांजे की नशे का धुंआ

छत्तीसगढ़, जिसे कभी शांत, संतुष्ट और सरल जीवनशैली के लिए जाना जाता था, अब अपराध और भ्रष्टाचार की नई ऊँचाइयों पर पहुँचता दिख रहा है। राज्य में कोयला, रेत और अन्य खनिजों के अवैध कारोबार के बाद अब गांजे की तस्करी जैसे नशे के धंधे में ख़ास लोगों की भागीदारी ने चिंता का एक नया अध्याय खोल दिया है। हाल ही में यहाँ के एक पूर्व विधायक के परिवार से जुड़े लोगों की गाड़ी में गांजा परिवहन करते पकड़ा जाना, न केवल शासन और प्रशासन की विफलताओं को उजागर करता है, बल्कि इस बात का प्रमाण भी है कि अब अपराध केवल आम लोगों तक सीमित नहीं रहा।

पहले जहाँ आम लोगों की गिरफ्तारी गांजा तस्करी के मामलों में होती थी, अब राजनीतिक और प्रभावशाली परिवारों का नाम आना गंभीर चिंता का विषय है। सवाल यह उठता है कि क्या कानून केवल आम जनता के लिए है। या फिर यह सिर्फ दिखावा बनकर रह गया है। शासन और प्रशासन की निष्क्रियता ने अपराधियों को ऐसा आत्मविश्वास दे दिया है कि अब वे खुलेआम अपनी हरकतों को अंजाम दे रहे हैं।

यह वही छत्तीसगढ़ है, जहाँ की जनता अपने सरल जीवन और मेहनतकश स्वभाव के लिए जानी जाती थी। लेकिन अब, अपराध और नशे का यह फैलता जाल राज्य की छवि को गहरा नुकसान पहुँचा रहा है।

शासन और प्रशासन के दावे सुनिए तो ऐसा लगेगा जैसे सब कुछ ठीक है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयाँ करती है।

सख्त कार्रवाई करेंगे जैसे वाक्य अब रस्म अदायगी से अधिक कुछ नहीं लगते। कार्रवाई होती है, तो सिर्फ उन्हीं पर जो छोटे खिलाड़ी हैं। बड़े नाम और प्रभावशाली लोग अक्सर बच निकलते हैं। शायद प्रशासन भी इस नए अपराध नेटवर्क के खिलाफ अपनी जिम्मेदारी भूल चुका है, क्योंकि उन्हें ऊपर से आदेश नहीं मिलता।

आज समाधान के लिए एक नई सोच की ज़रूरत है। शासन और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि कानून का पालन हर स्तर पर समान रूप से हो। चाहे कोई आम नागरिक हो या खास व्यक्ति, तस्करी में संलिप्त सभी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस को राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त करना जरूरी है। उन्हें स्वतंत्र रूप से जांच करने और दोषियों पर कार्रवाई करने की शक्ति दी जानी चाहिए।नशे के खिलाफ व्यापक जन-जागरण अभियान चलाया जाए। यह केवल पुलिस और प्रशासन का मामला नहीं है, बल्कि समाज को भी जागरूक होना होगा। राजनेताओं को अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा और यदि उनके परिवार या सहयोगी अपराध में संलिप्त पाए जाते हैं, तो उन्हें खुद जिम्मेदारी लेते हुए कार्रवाई का समर्थन करना चाहिए।

छत्तीसगढ़ के शांत और संतोषजनक जीवन पर अपराध और भ्रष्टाचार का धुंआ मंडरा रहा है। यह समय है कि शासन, प्रशासन और समाज मिलकर इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं। अन्यथा, जिस राज्य पर कभी गर्व किया जाता था, वह केवल अपराध और नशे का पर्याय बनकर रह जाएगा।

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