प्रबुद्ध वर्ग में गुस्सा, चना-मुर्रा की तरह बांटे जा रहे मानद विद्यावाचस्पति सम्मान!

आलीशान होटलों में विद्यापीठों व निजी संस्थाओं द्वारा बाँटे जा रहे मानद विद्यावाचस्पति सम्मान के सन्दर्भ में प्रबुद्धजनों ने उठाया सवाल*

रायपुर। उच्च शिक्षा विभाग व लोक शिक्षण संचालनालय के दिशा निर्देशों के अनुसार कोई विभागीय व्यक्ति विभाग से अनुमति लेकर अन्वेषणात्मक उपाधि (एकेडमिक पीएचडी) की डिग्री प्राप्त करता है तो वह अपने नाम के आगे विभागीय दस्तावेजों व सूचनाओं में डॉ  लिख सकता है परंतु इस नियम को दरकिनार कर  राज्य व विभिन्न जिलों में अनेक शासकीय शिक्षक मानद विद्यावाचस्पति सम्मान  लेकर अपने नाम के आगे डॉ जोड़कर विभाग को गुमराह कर रहें हैं जिसके विरोध में प्रबुद्ध में नाराजगी बढ़ती जा रही है।

इसी तारतम्य में सरायपाली में महाप्रभु बल्लभाचार्य महाविद्यालय महासमुंद की प्राचार्य डॉ. अनुसुईया अग्रवाल की अध्यक्षता वाली बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में महाविद्यालय, नवोदय विद्यालय व अन्य विद्यालयों के प्राचार्य बृजलाल पटेल, प्रशांत रहाटे, सी एल पुहुप, नरहरि पटनायक, मनोज पटेल, डॉ. अनिल प्रधान, कामता प्रसाद साहू सहायक प्राध्यापकगण क्षीरसागर पटेल, प्रविन्द पटेल, व्याख्यातागण डॉ. मुकेश चौधरी, बी.आर. पटेल, प्रधानपाठकगण डॉ. विजय शर्मा, यशवंत चौधरी, डॉ. गोपा शर्मा ,रमेश प्रधान, शिक्षकगण शुभ्रा डड़सेना, लिंगराज देवांगन समाजसेवी महेंद्र पसायत उपस्थित रहे

बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया में मानद पीएचडी प्राप्त करने संबंधी खबरे प्रमुखता से देखने पढ़ने मिल रही है।उच्च शिक्षा विभाग, लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा पीएचडी डिग्री को लेकर स्पष्ट दिशा निर्देश दिया जाता है। मानद पीएचडी प्राप्त करने वाले शिक्षकों के द्वारा धड़ल्ले से विभागीय सूचनाओं में नाम के आगे  डॉ. जोड़ने की घटना से पूरा विभाग व  समाज भ्रम की स्थिति में  है।

जिले के प्रबुद्धजनों ने इस मामले में संज्ञान लेकर बैठक किया व शासन को ज्ञापन सौपनें हेतु निर्णय लिया है ताकि अकादमिक पीएचडी उपाधि प्राप्त करने वाले शिक्षकों  का सम्मान और पीएचडी उपाधि की गरिमा बरकरार रहे। बैठक में वर्तमान शिक्षा में कालान्तर में आई गिरावट, विसंगतियों व मानद पीएचडी  पर प्रहार करते हुए प्रबुद्धजनों ने ‘शिक्षा व समाज में मानद पीएचडी’ के बढ़ते प्रचार  को चिंताजनक बताया है। मानद उपाधि का शिक्षा जगत में भ्रम का प्रभाव  कड़वा सच उजागर करने वाला है।

शिक्षा व समाज मे डॉ उपसर्ग के स्तर में आ रही गिरावट के दूरगामी परिणाम चिंताजनक हैं, जिनकी ओर शासन को ध्यान दिलाया जा रहा है और मंथन की आवश्यकता भी जताई है। वर्तमान में  शिक्षा प्रणाली को सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि युवा अपने ज्ञान और कौशल के आधार पर सफल बन सकें। व्यावसायिक संगठन व निजी संस्था बड़े-बड़े होटलों में मानद पीएचडी वितरण करने हेतु भव्य कार्यक्रम  करके व्यक्तियों को लुभाने का कार्य करते है, किंतु धरातल पर शैक्षणिक विकास के लिए कार्य नहीं कर रहे हैं। ऐसे संगठनों से दूर रहने के लिए वर्तमान पीढ़ी को सचेत करना आवश्यक है।

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