Holashtak 2025: होलाष्टक को अशुभ माना जाता है लेकिन यह वास्तव में एक आध्यात्मिक अवसर है. यह हमें अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानने और नकारात्मकता को दूर करने का मौका देता है. होलाष्टक के दौरान विवाह, गृह प्रवेश जैसे…और पढ़ें
होलाष्टक Holashtak 2025 कब से कब तक रहेगा?
होलाष्टक 2025: 7 मार्च से 13 मार्च तक रहेगा.
होलाष्टक में विवाह, गृह प्रवेश, सगाई वर्जित हैं.
ध्यान, योग और पूजा से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाएं.
Holashtak 2025: होली का त्योहार रंगों का त्योहार, खुशियों का त्योहार लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे ठीक आठ दिन पहले एक ऐसा समय आता है जब सभी शुभ कार्य थम जाते हैं और इसे अशुभ माना जाता है? जी हां हम बात कर रहे हैं होलाष्टक की. होलाष्टक यानी होली से आठ दिन पहले का समय जब प्रकृति में एक अजीब सा बदलाव आता है और वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है. पंडित अनिल शर्मा इस रहस्यमयी समय के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं.
जानें क्या है होलाष्टक Holashtak ?
होलाष्टक दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘होली’ और ‘अष्टक’ जिसका अर्थ है आठ दिनों की अवधि. यह फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक रहता है. 2025 में होलाष्टक 7 मार्च से शुरू होकर 13 मार्च तक रहेगा.
जानें क्यों माना जाता है अशुभ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार इन आठ दिनों में हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति से विमुख करने के लिए कठोर यातनाएं दी थीं. इसलिए यह समय नकारात्मक ऊर्जा से भरा माना जाता है. ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, होलाष्टक के दौरान आठ ग्रह उग्र अवस्था में होते हैं जिससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है. इन ग्रहों में चंद्रमा, सूर्य, शनि, शुक्र, गुरु, बुध, मंगल और राहु शामिल हैं.
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क्या न करें:
होलाष्टक Holashtak में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, सगाई जैसे मांगलिक कार्य वर्जित हैं.
नए व्यापार या निर्माण कार्य की शुरुआत भी नहीं करनी चाहिए.
क्या करें:
यह समय भगवान विष्णु और नरसिंह भगवान की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है.
आप ध्यान, योग और मंत्र जाप करके सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा सकते हैं.
गरीबों की मदद करें.
भगवान नरसिंह की पूजा करें.
भले ही होलाष्टक Holashtak को अशुभ माना जाता है लेकिन यह वास्तव में एक आध्यात्मिक अवसर है. यह हमें अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानने और नकारात्मकता को दूर करने का मौका देता है. तो इस होलाष्टक में आइए हम भगवान की भक्ति में लीन होकर सकारात्मकता का प्रसार करें