मनोज तिवारी की मौत का मामला: ब्लैकमेलिंग और प्रताड़ना के आरोपियों पर शिकंजा, तीन महीने बाद FIR

ब्राम्हण युवा संगठन सचिव मनोज तिवारी

महासमुंद. मनोज तिवारी की संदिग्ध मौत के तीन महीने बाद कोमाखान थाना क्षेत्र में सनसनीखेज खुलासे ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। पुलिस ने प्रताड़ना के आरोप में एफआईआर दर्ज की है, जिसमें कुछ लोगों द्वारा ब्लैकमेलिंग और मानसिक उत्पीड़न के चलते आत्महत्या के लिए विवश करने की बात सामने आई है। इस दौरान मनोज के पिता भी सदमे में अपना जीवन खो बैठे, जिससे पूरा परिवार सकते में आ गया है।

घटना का समय और स्थान : 16 मई 2024 को महासमुंद जिले के कोमाखान थाना क्षेत्र के ग्राम बिन्द्रावन लोदामुड़ा खार में मनोज तिवारी की संदिग्ध अवस्था में लाश मिली।

मौत की प्रारंभिक स्थिति : मनोज तिवारी की मौत को प्रारंभिक रूप से संदिग्ध बताया गया था, जिससे इलाके में सनसनी फैल गई।

प्रारंभिक शंकाएं : घटना के तुरंत बाद से ही लोगों में शंका थी कि मनोज की मौत के पीछे गहरा षड्यंत्र हो सकता है, जिसमें चार-पांच लोगों का गिरोह शामिल है।

FIR का दर्ज होना : तीन महीने बाद कोमाखान पुलिस ने प्रथम दृष्टया FIR दर्ज की, जिसमें प्रताड़ना के कारण आत्महत्या की बात कही गई।

ब्लैकमेलिंग का मामला : रिपोर्ट्स के अनुसार, मनोज को कुछ लोग लगातार ब्लैकमेल कर रहे थे, जिससे वह मानसिक रूप से परेशान था।

परिवार पर प्रभाव : मनोज तिवारी की मौत के बाद उनके पिता सदमे में आ गए और तीन महीने के भीतर उनका भी निधन हो गया। मनोज परिवार के इकलौते पुत्र थे और पूरे परिवार की जिम्मेदारी संभालते थे।

 पुलिस की प्रतिक्रिया : कोमाखान थाना प्रभारी नीतेश सिंह ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी का आश्वासन दिया है।

आगे की कार्रवाई : मामले की जांच जारी है और पुलिस ने बताया है कि जल्द ही इस प्रकरण में विस्तृत खुलासा किया जाएगा।

यह घटना न केवल न्याय की धीमी गति का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे प्रताड़ना और ब्लैकमेलिंग जैसे अपराध किसी के जीवन को तबाह कर सकते हैं। मनोज तिवारी के परिवार को हुए अपूरणीय नुकसान को देखते हुए इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।

 

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