ज़िंदगीनामा : डॉ. नीरज गजेंद्र
आजकल ज़िंदगी की भाग-दौड़ तेज़, इच्छाएं अनंत और सफलता पाने की होड़ तीव्र हो गई है। हर कोई सफल होना चाहता है, लेकिन कई लोग इसके लिए शॉर्टकट का रास्ता चुनने लगे हैं। इस प्रवृत्ति ने समाज में एक नई संस्कृति को जन्म दिया है, जिसमें पूजा-पाठ, टोटके और आध्यात्मिक उपायों से सफलता पाने की अपेक्षा बढ़ती जा रही है। वानस्पत्तिक वस्तुओं से बड़े-बड़े कामों के पूरे होने की उम्मीदें लगाई जा रही हैं। यह सच है कि धर्म, अध्यात्म और पूजा-पाठ हमारे जीवन के अभिन्न अंग हैं और इन्हें सच्ची श्रद्धा के साथ किया जाना चाहिए। …लेकिन इन उपायों से ही क्या सफलता पाई जा सकती है। क्या कर्म किए बिना जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। आइए ढूंढ़ें, कर्म-आस्था और प्रयास के संगम लक्ष्य तक जाने का सही मार्ग क्या है-
भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है, ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ यानी ‘तुम्हारा अधिकार केवल कर्म पर है, फल की चिंता मत करो’। यह सिद्धांत आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना हजारों साल पहले था। सफलता प्राप्त करने के लिए कर्म करना आवश्यक है। मात्र पूजा-पाठ या किसी खास धार्मिक प्रतीक का प्रयोग जीवन की चुनौतियों का समाधान नहीं कर सकता। यहां यह समझना आवश्यक है कि पूजा-पाठ हमारे मन को शांति और आत्मबल देता है, लेकिन कर्म ही हमें वह शक्ति प्रदान करता है जिससे हम अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि एक छात्र केवल परीक्षा के लिए मंदिरों में पूजा करता है लेकिन पढ़ाई नहीं करता, तो क्या वह सफल हो पाएगा…नहीं।
पूजा-पाठ और धार्मिक कार्य हमारी ऊर्जा और विचारों को सकारात्मक दिशा में ले जाने का माध्यम हैं, लेकिन इसके साथ-साथ कर्म भी आवश्यक है। हम जिस युग में जी रहे हैं, उसे तेज़ी से बदलते हुए और तकनीकी प्रगति का युग कहा जाता है। हर कोई चाहता है कि वह बिना ज़्यादा मेहनत के तुरंत परिणाम प्राप्त कर सके। इस सोच ने समाज में शॉर्टकट की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है। लोग यह भूल जाते हैं कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। यह एक निरंतर प्रक्रिया है जिसमें समय, समर्पण और कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है। ऐसा नहीं है कि शॉर्टकट के रास्ते से कभी सफलता नहीं मिलती। कई बार कुछ टोटके या उपाय काम भी कर जाते हैं, लेकिन यह सफलता अस्थाई होती है। दीर्घकालीन सफलता और आत्म-संतोष प्राप्त करने के लिए कर्म का मार्ग ही सही है।
पूजा-पाठ और आध्यात्मिकता का जीवन में एक खास स्थान है। ये हमें मानसिक शांति और शक्ति प्रदान करते हैं। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हम कर्म से मुख मोड़ लें और केवल धार्मिक टोटकों पर निर्भर हो जाएं। सफल जीवन के लिए आवश्यक है कि हम पूजा और कर्म के बीच संतुलन बनाए रखें। पूजा हमारी आंतरिक शक्ति को जगाने का माध्यम हो सकती है, लेकिन बाहरी दुनिया में उसे क्रियान्वित करने के लिए कर्म करना अनिवार्य है।
जो लोग मात्र शॉर्टकट के भरोसे रहते हैं, वे इस महत्वपूर्ण बात को भूल जाते हैं कि कर्म और धैर्य के बिना सफलता अधूरी होती है। हर बड़ा लक्ष्य कठिनाइयों से भरा होता है, और उसे पाने के लिए कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है। टोटके और धार्मिक उपाय हमें प्रेरणा दे सकते हैं, लेकिन यदि उनमें कर्म का साथ नहीं हो, तो वे निरर्थक हो जाते हैं। सफलता पाने के लिए कर्म और आस्था दोनों का संतुलन आवश्यक है। पूजा-पाठ और टोटके हमें मानसिक शांति और आत्मबल प्रदान कर सकते हैं, लेकिन बिना कर्म किए सफलता प्राप्त करना संभव नहीं है। इसलिए, जीवन में शॉर्टकट की बजाय सही दिशा में निरंतर प्रयास करें और अपने लक्ष्यों को पाने के लिए कर्म पर विश्वास रखें।