महासमुंद। महासमुंद जिले में शिक्षा का हाल-बेहाल है। लापरवाही का आलम ये है कि नैनिहाल खतरों के बीच में पढ़ाई कर रहे हैं। बकायदा बच्चे और शिक्षक स्कूल छाता लेकर पहुंचते हैं जहां छत से पानी टपकता है और यही पढ़ाई होती है। आज शनिवार को एक फोटो सराईपाली क्षेत्र से वायरल हुई, जिसमें शिक्षक और टीचर छाता लेकर स्कूल के भीतर खड़े हुए थे। हकीकत जानने जब स्कूल तक पहुंचे तो यह बात सौ फीसदी सच साबित हुई जहां पर खतरो के बीच बच्चे पढ़ाई करने पर मजबूर हैं।
चौकाने वाली बात तो ये है कि बकायदा ब्लॉक शिक्षा अधिकारी की उपस्थिति में 23 जून 2024 को एक प्रस्ताव पारित कर इस जर्जर भवन में बच्चों को पढ़ाई के चयन किया है। यह पूरा मामला सिंघोडा संकुल के सागरपाली का है जहां स्कूल भवन जर्जर होने के बाद शिक्षा विभाग के अफसरों ने बच्चों को पढ़ने के लिए दूसरे जर्जर भवन में शिफ्ट करने का प्रस्ताव पारित कर दिया।
विस्थापित भवन में इन दोनों छत से लगातार पानी टपक रहा है जिससे बच्चों को एकमात्र कक्ष में कहीं पांव रखने के लिए भी जगह नहीं है और गीली जमीन में खड़े होकर पढ़ने को मजबूर होना पड़ रहा है, टपकती छत के नीचे पढ़ाई करने की मजबूरी के बाद भी शिक्षा विभाग के अफसर झांकने तक नहीं जा रहे हैं, लिहाजा कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। हम आपको बता दें कि एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री जर्जर शाला भवनों से बच्चों को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं दूसरी और विभागीय अफसरों द्वारा इस तरह की लापरवाही भी सामने आ रही है।
विकासखंड शिक्षा अधिकारी और बीआरसीसी द्वारा जर्जर भवन में ही कर दी गई अध्यापन व्यवस्था अफसरों की अदूरदर्शिता के चलते बच्चे आज जान-जोखिम में लेकर पढ़ाई कर रहे हैं। अफसरों को फुसर्द नहीं है कि उक्त को झांकने तक जाएं।
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