मनोज तिवारी की मौत का मामला : मृतक की पत्नी ने पुलिस की गतिविधियों को बताया संदेहास्पद, पुलिस अधीक्षक से हस्तक्षेप की गुहार।

ब्राम्हण युवा संगठन सचिव मनोज तिवारी

पुलिस के संज्ञान में आरोपियों ने मेरे पति की मौत के साक्ष्यों से किया छेड़छाड़ : यामिनी

महासमुंद जिले के कोमाखान थाना क्षेत्र में सेल्समैन मनोज तिवारी की संदिग्ध मौत ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मृतक की पत्नी यामिनी तिवारी ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि कोमाखान पुलिस आरोपियों को बचाने और उन्हें फरार होने में मदद कर रही है, जबकि उनके पति की मौत के पीछे ब्लैकमेलिंग और आर्थिक शोषण की साजिश है। मालूम हो कि 16 मई 2024 को मनोज तिवारी की लाश बिंद्रावन खार के जंगल में संदिग्ध हालात में मिली थी।

मृतक के शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मौत सामान्य नहीं थी। यामिनी तिवारी के अनुसार, घटना की रात मनोज ने फोन कर उन्हें सूचित किया था कि सोसायटी प्रबंधक हलधर यादव ने उन्हें बुलाया है और वह देरी से घर लौटेंगे। यह उनके आखिरी शब्द साबित हुए। अगली सुबह मनोज की लाश मिलने की खबर आई, जिसने पूरे परिवार को हिला कर रख दिया।

सुसाइड नोट और पुलिस की लापरवाही : घटनास्थल से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ, जिसमें मनोज ने ब्लैकमेलिंग और मानसिक प्रताड़ना का जिक्र किया था। यामिनी ने आरोप लगाया कि सोसायटी प्रबंधक नरेंद्र सिंह ठाकुर ने मनोज को पदोन्नति का झांसा देकर 25 लाख रुपये वसूले थे। यह रकम मनोज ने परिवार और परिचितों से उधार लेकर दी थी। मनोज को ब्लैकमेल किया जा रहा था और उनके ऊपर लगातार मानसिक दबाव बनाया जा रहा था।

पुलिस ने प्लानिंग से होने दिया फरार: यामिनी ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि सुसाइड नोट में स्पष्ट तौर पर आरोपियों का नाम होने के बावजूद एफआईआर दर्ज करने में पुलिस को तीन महीने का समय लगा। इस दौरान, आरोपी खुल्लम-खुल्ला घूमते रहे, आरोप है कि पुलिस ने आरोपियों को फरार होने का पूरा मौका दिया और उनके खिलाफ कार्रवाई में जानबूझकर ढिलाई बरती।

परिवार की अपील और पुलिस की भूमिका : यामिनी तिवारी ने महासमुंद के पुलिस अधीक्षक से मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि कोमाखान पुलिस ने उनके पति की लाश को बिना परिवार के पहुंचने का इंतजार किए जल्दबाजी में उतार लिया। यह कार्रवाई संदेहास्पद मानी जा रही है, क्योंकि पुलिस ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी की है।

आरोपियों के अत्याचार से लुट चुके थे मनोज : यामिनी ने बताया कि घटना से एक महीने पहले से ही मनोज मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान थे। लगातार हो रही ब्लैकमेलिंग और सोसायटी प्रबंधकों के अत्याचार से वह टूट चुके थे। यामिनी का यह भी आरोप है कि पुलिस ने एफआईआर की कॉपी तक उन्हें उपलब्ध नहीं कराई है, और जांच में ढिलाई बरत रही है।

आरोपी की याचिका पर कानूनी स्थिति : मामले में सोसायटी प्रबंधक नरेंद्र ठाकुर, हलधर यादव और गिरीश चक्रधारी मुख्य आरोपी हैं, जिनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। चौथे आरोपी धूप सिंह ठाकुर ने सेशन कोर्ट से अपनी जमानत अर्जी वापस ले ली है। अब इन आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की है, जिसकी सुनवाई जल्द होने की संभावना है।

परिवार पर लगातार दुखों का पहाड़ : मनोज की मौत के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनके पिता शीतल तिवारी बेटे की आत्महत्या से इतने व्यथित हुए कि हार्ट अटैक के कारण उनकी भी मौत हो गई। मनोज की मां की स्थिति भी गंभीर बनी हुई है, और परिवार न्याय के लिए संघर्ष कर रहा है। यामिनी ने अपील की है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सजा मिले।

 

ये भी पढ़ें...

Edit Template