दस प्रतिशत साप्ताहिक ब्याज पर कर्ज लेने विवश लोग, सूदखोरों की प्रताड़ना और ब्लैकमेलिंग से परेशान, छुटकारा पाने कर रहे आत्महत्या

0 व्यापारी और सरकारी कर्मचारियों के साथ किसान भी सूदखोरों के चंगुल से निकलने पुलिस में लगा रहे गुहार लेकिन कार्रवाई नहीं होने से निराशा।

महासमुंद जिले में सूदखोरों का आतंक विकराल रूप ले चुका है। लोग बढ़ती महंगाई और घटती आय के बीच कर्ज लेने को मजबूर हैं, लेकिन सूदखोर दस प्रतिशत साप्ताहिक ब्याज पर कर्ज देकर कर्जदारों का शोषण कर रहे हैं। कर्ज लौटाने में चूक होने पर चक्रवृद्धि ब्याज वसूलने के साथ कर्जदारों को धमकाया और सार्वजनिक रूप से अपमानित किया जाता है। पुलिस और प्रशासन की अनदेखी के चलते पीड़ित मानसिक रूप से टूट रहे हैं, और कई ने आत्महत्या का रास्ता चुन लिया है।

अक्टूबर 2024 में हेमंत साहू ने सूदखोरों की प्रताड़ना से तंग आकर नर्सरी में फांसी लगा ली। इससे पहले इंजीनियर अनिमेष सिंह और बढ़ईपारा के पुरुषोत्तम चौहान ने भी सूदखोरी के दबाव में अपनी जान दे दी थी। कई सुसाइड नोट में स्पष्ट रूप से सूदखोरों के अत्याचार का जिक्र मिला, लेकिन पुलिस की लचर कार्रवाई ने पीड़ितों के परिजनों को निराश कर दिया है।

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शिक्षक तुकाराम ठाकुर

ताजा मामला शिक्षक तुकाराम ठाकुर का है, उनकी कहानी सूदखोरी के दुष्चक्र को उजागर करती है। उन्होंने एसपी को लिखे ज्ञापन में बताया है कि 2015 में अशोक अग्रवाल से  75,000 रुपये कर्ज लिए थे। कर्ज और 16,000 रुपये ब्याज चुकाने के बावजूद अशोक ने उनके दो ब्लैंक चेक लौटाने से इनकार कर दिया। उल्टा, उसने सात और चेक ले लिए, जिनका कुल मूल्य 35,000 रुपये था, जो ब्याज के नाम पर वसूला गया। शिक्षक का आरोप है कि अशोक ने उनके चेक बाउंस करवा कर झूठे मुकदमे में फंसा दिया। साजिश के तहत एक चेक अपने पुत्र और दूसरा अपनी पुत्री के नाम से बाउंस कराकर उन्हें लगातार धमकाया जा रहा है। इस उत्पीड़न से तंग आकर शिक्षक ने पुलिस अधीक्षक से शिकायत की है, देखना होगा कि उसकी गुहार पर पुलिस कितनी गंभीर है।

जिले में सूदखोरों के आतंक से बढ़ीं आत्महत्या की घटनाएं

– 16 अक्टूबर 2024: महासमुंद नयापारा के 32 वर्षीय हेमंत साहू ने नर्सरी में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसकी जेब से मिले सुसाइड नोट में उसने एक महिला सूदखोर द्वारा परिवार समेत प्रताड़ित करने का उल्लेख किया। मृतक ने बताया कि आत्महत्या से एक दिन पहले महिला सूदखोर ने गुंडों को भेजकर उत्पात मचवाया था।

–  2023: महासमुंद के बढ़ईपारा निवासी पुरुषोत्तम चौहान ने सूदखोरों की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली। उनकी विधवा पत्नी ने मासूम बच्चों के साथ बार-बार धरना देकर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जिसके बाद ही मामला दर्ज हुआ और गिरफ्तारी हुई।

– 11 मार्च 2024: महावीर कॉलोनी निवासी इंजीनियर अनिमेष सिंह रघुवंशी ने सूदखोरों के दबाव में आकर आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट में उन्होंने सूदखोरों के नाम उजागर किए, लेकिन मामूली कार्रवाई के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

–  25 जुलाई 2023: बागबाहरा के छुईहा निवासी 65 वर्षीय किसान कन्हैया लाल सिन्हा ने कर्ज के बोझ और योजनाओं का लाभ न मिलने से खेत में फांसी लगाकर जान दे दी। मौत से पहले बैंक कर्मचारी तकादा करने उनके घर आए थे।

– 10 जून 2024: बागबाहरा ब्लॉक के हरनादादर गांव के 65 वर्षीय बलीराम ठाकुर ने सूदखोरों के दबाव में जहर खाकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने 30,000 रुपये का कर्ज लिया था, लेकिन सूदखोर 20,000 रुपये अतिरिक्त वसूलने का दबाव बना रहे थे।

क्या कहता है सूद के नियम और प्रावधान-

लाइसेंस का अनिवार्य होना: सूदखोरों को वैध लाइसेंस के बिना कर्ज देने की अनुमति नहीं होती। लाइसेंस स्थानीय रजिस्ट्रार से प्राप्त किया जाता है और लाइसेंस धारी को निर्धारित ब्याज दरों का पालन करना पड़ता है।

ब्याज दरों पर नियंत्रण: प्रत्येक राज्य की सरकारें कर्ज पर अधिकतम ब्याज दरें तय करती हैं। यदि सूदखोर तय सीमा से अधिक ब्याज लेता है, तो इसे कानूनन अपराध माना जाता है।

पारदर्शिता और रिकॉर्ड-रखरखाव: सूदखोरों को सभी कर्ज लेनदेन के स्पष्ट रिकॉर्ड रखने होते हैं। कर्जदारों के साथ अनुबंध में सभी शर्तें पारदर्शी और स्पष्ट रूप से लिखित होनी चाहिए।

उधार देने का दायरा: कुछ व्यवसायों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों को इस कानून से छूट प्राप्त होती है, लेकिन सामान्य व्यक्तियों या छोटे संस्थानों के लिए यह अनिवार्य है कि वे सूदखोरी कानूनों का पालन करें।

होगा लाइसेंस रद्द : यदि कोई सूदखोर नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है, और उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही, कई राज्यों में सूदखोरी से जुड़े विवादों के समाधान के लिए विशेष प्राधिकरण और प्रक्रिया तय की गई है।

 

 

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