बैंकिंग शिक्षा। वित्तीय शिक्षा के पहले पायदान पर आईडीबीआई की शाखा पहुंचे चौथी और पांचवी के बच्चों ने समझी बचत और खर्च की बारीकियां।
महासमुंद. शासकीय अभ्यास प्राथमिक शाला के बच्चों ने सोमवार को आईडीबीआई बैंक का ज्ञानवर्धक भ्रमण किया। चौथी और पांचवी कक्षा की छात्र-छात्राओं ने बैंक की कार्यप्रणाली को करीब से देखा, और समझा कि बैंक में रुपए-पैसे का प्रबंधन कैसे किया जाता है। खाताधारकों को बैंक से जुड़ाव के क्या फायदे हैं। बैंक पहुंचे बच्चों का स्वागत करते हुए शाखा प्रबंधक पुष्पेंद्रकुमार सिन्हा ने बताया कि बैंक में खाता कैसे खोला जाता है, जमा और निकासी की प्रक्रिया क्या होती है।
असली नोट की पहचान के तरीकों से अवगत होते हुए बच्चों ने वित्तीय प्रबंधन में बचत और खर्च की बारीकियां समझीं। स्कूल की प्रधान पाठक डेमेश्वरी गजेंद्र ने बैंक भ्रमण से मिली जानकारी को बच्चों के लिए बहुत ही रोचक और उपयोगी बताया। उनका मानना है कि असली और नकली नोट की पहचान के तरीके जानने से बच्चे भविष्य में धोखाधड़ी से बच सकें।
कक्षा पांचवी के छात्र श्रेयांश शर्मा ने बताया कि हमारे शिक्षकों ने पहले भी बैंक के बारे में बताया था, लेकिन आज यहां आकर हमें समझ में आया कि पैसे की पहचान और प्रबंधन कितना जरूरी है। पांचवी कक्षा की छात्रा तृप्ति राजपूत ने साझा किया कि इस भ्रमण ने उन्हें अपनी पाकेट मनी को बचाने और समझदारी से खर्च करने के तरीकों के बारे में जानकारी दी। चौथी के छात्र गहनेश ध्रुव, जीविका भोई, भाविका पाल, अमन निषाद और अहिर यादव ने सीखा कि कैसे एक बैंक खाता खोला जाता है और उसकी क्या आवश्यकताएं होती हैं।
मौके पर मौजूद बैंक कर्मचारियों ने बताया कि पैसे को सुरक्षित रखने और बचत करने के लिए उन्हें किस तरह के खातों का चयन करना चाहिए। शिक्षक ममता डड़सेना, खेमिन साहू, कल्याणी फेकर, जायसी वर्मा और सरिता साहू ने बैंक भ्रमण पर कहा कि ऐसे अनुभव बच्चों को वास्तविक जीवन में वित्तीय प्रबंधन के महत्व को समझने में मदद करेंगे। इससे बच्चों में पैसे के प्रति समझदारी और बचत की आदतें विकसित हो सकती हैं, जो उन्हें भविष्य में वित्तीय स्वतंत्रता की दिशा में अग्रसर करेगी।
पालक समिति के नम्रता यादव, सावित्री ध्रुव, रेवती यादव और कुंजबिहारी स्वाइन आदि ने इस भ्रमण को बच्चों के लिए एक अद्भुत अनुभव बताया, उनका कहना है कि यह बच्चों के लिए वित्तीय शिक्षा का पहला कदम साबित हुआ है। शिक्षकों और विद्यालय प्रबंधन की यह पहल अन्य स्कूलों के लिए भी अनुकरणीय है। इस तरह की गतिविधियों से बच्चों का ज्ञानवर्धन होता है और वे वित्तीय मामलों में अधिक जागरूक बनते हैं।