वेबमोर्चा न्यूज। महासमुंद: ओंकारबंद के पास गुरुवार दोपहर हुए दर्दनाक सड़क हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। तेज रफ्तार ट्रक की चपेट में आई कार के परखच्चे उड़ गए, जिसमें कार चालक समेत एक ही परिवार के पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। इस हादसे ने एक बार फिर से सड़क सुरक्षा नियमों और ओवरलोडिंग पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जानकारी के अनुसार, दुर्ग जिले में पदस्थ राजस्व निरीक्षक ताहर सिंह ठाकुर (50) अपनी पत्नी बिंदेश्वरी ठाकुर (48), साली सरोज ठाकुर (झलप, शिक्षिका), पिंकी ठाकुर (बस्तर, शिक्षिका) और बेटी तरू ठाकुर (19) के साथ होली मनाने बागबाहरा आ रहे थे। कार चला रहे सूरज साहू (बागबाहरा निवासी) भी हादसे का शिकार हो गए। घटना इतनी भीषण थी कि कार के परखच्चे उड़ गए। सूचना मिलने पर खल्लारी पुलिस मौके पर पहुंची और क्रेन की मदद से शवों और घायलों को बाहर निकाला। एक ही परिवार के पांच सदस्यों और कार चालक की मौत से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है। खासकर शिक्षा और राजस्व विभाग के कर्मचारियों में गहरा दुख है, क्योंकि मृतकों में दो शिक्षिकाएं और एक राजस्व अधिकारी शामिल थे।

गुरुवार दोपहर ओंकारबंद के पास हुए भीषण सड़क हादसे ने सिर्फ छह जिंदगियां नहीं छीनीं, बल्कि पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया। एक होली जो रंगों, हंसी और मिलन की होनी थी, वह चीख-पुकार, खून और बिछड़ने के दर्द में बदल गई। तेज रफ्तार ट्रक की टक्कर से कार के परखच्चे उड़ गए, और उसके साथ ही एक परिवार के सारे सपने भी बिखर गए। राजस्व निरीक्षक ताहर सिंह ठाकुर अपनी पत्नी, दो साली, बेटी और अन्य सदस्याओं के साथ होली मनाने बागबाहरा जा रहे थे। कार चला रहा सूरज साहू भी उनके साथ था। शायद उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि यह सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर होगा। दोपहर 3:48 बजे एक तेज रफ्तार ट्रक ने उनकी कार को इतनी जोरदार टक्कर मारी कि पल भर में सब खत्म हो गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, टक्कर इतनी भयानक थी कि कार के टुकड़े सड़क पर बिखर गए। राहगीरों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, लेकिन बचाने के लिए कुछ भी शेष नहीं बचा था। मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों और स्थानीय लोगों ने जब कार के अंदर झांककर देखा, तो वहां मौत का मंजर था। किसी की सांसें थम चुकी थीं, किसी के शरीर के हिस्से अलग हो चुके थे। महासमुंद जिले में यह दूसरी बड़ी दुर्घटना थी, लेकिन सवाल वही है—क्या इन हादसों से कोई सबक लेगा? क्या यह सिर्फ एक और ‘हादसा’ बनकर रह जाएगा? सड़कें मौत के जाल में बदल रही हैं, लेकिन न प्रशासन चेता, न परिवहन विभाग। ओवरलोडिंग, तेज रफ्तार, और नियमों की अनदेखी न जाने कितने घरों को उजाड़ चुकी है।
अधूरी रह गई बेटी की ख्वाहिश
इस हादसे ने सिर्फ एक परिवार नहीं छीना, बल्कि एक बेटी की हंसती-खेलती दुनिया भी छीन ली। तरू ठाकुर, जो अभी 19 साल की थी, अपनी पढ़ाई पूरी कर आगे बढ़ने के सपने देख रही थी। क्या पता था कि उसकी जिंदगी का सफर इतनी जल्दी खत्म हो जाएगा। परिवार बागबाहरा में अपने रिश्तेदारों के साथ होली मनाने जा रहा था। गाड़ी में रंग, गुलाल और मिठाइयां रखी थीं। लेकिन रास्ते में सफर का यह दर्दनाक अंत हुआ कि अब उनके घर में न रंगों की खुशी बची, न हंसी की गूंज। जो अपने घर-आंगन को रंगने जा रहे थे, वे खुद लहू में रंगकर हमेशा के लिए चले गए।
सड़क सुरक्षा पर सवाल
महासमुंद जिले में बीते सप्ताह के भीतर यह दूसरी बड़ी सड़क दुर्घटना है। तीन दिन पहले ही झलप में खड़े ट्रक से टकराने के कारण तीन लोगों की जान चली गई थी। लगातार हो रही दुर्घटनाएं प्रशासन और परिवहन विभाग की लापरवाही को उजागर कर रही हैं। ओवरलोडिंग और तेज रफ्तार ट्रकों की बेलगाम दौड़ ने न जाने कितने परिवार उजाड़ दिए हैं, लेकिन इसके बावजूद जिम्मेदार विभाग आंख मूंदे बैठे हैं। क्या यह हादसा भी महज एक आंकड़ा बनकर रह जाएगा, या फिर सख्त कार्रवाई होगी।
सख्त कदम उठाना जरूरी
यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है। नियमों की अनदेखी और सड़क सुरक्षा उपायों के अभाव में मासूम लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। जरूरत है कि ओवरलोडिंग और तेज रफ्तार वाहनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि किसी और परिवार को अपनों को खोने का दर्द न सहना पड़े।

कब रुकेगा यह सिलसिला
क्या यह सिर्फ एक आंकड़ा बनकर रह जाएगा या फिर प्रशासन जागेगा। ओवरलोडिंग और तेज रफ्तार ट्रकों के खिलाफ क्या कोई सख्त कार्रवाई होगी। यह सिर्फ उस परिवार का दुख नहीं है, बल्कि हर उस इंसान का डर है जो सड़कों पर सफर करता है। यह कोई पहली घटना नहीं, लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि यह आखिरी बने। वरना कोई न कोई होली, किसी न किसी घर में हमेशा के लिए सूनी होती रहेगी।
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