धर्मशास्त्र में अक्षय तृतीया का बड़ा ही धार्मिक महत्व माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण जेवर की खरीदारी की जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन शादी अथवा मांगलिक कार्य के लिए भी बहुत ही शुभ माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष अक्षय तृतीया का पर्व 10 मई को मनाया जाएगा. लेकिन लगभग 23 सालों बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब अक्षय तृतीया पर विवाह का कोई मुहूर्त नहीं बन रहा है इस साल अक्षय तृतीया पर शुक्र और गुरु का तारा अस्त होने से इस दिन विवाह का कोई शुभ मुहूर्त नहीं बनेगा.
विवाह का कोई भी मुहूर्त नहीं
पंडितों के अनुसार, सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का पर्व बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है. ज्योतिषीय गणना के मुताबिक इस दिन आभूषण खरीदने का भी विधान है. साथ ही इस दिन शुभ कार्य किए जाते हैं. जैसे शादी विवाह और मुंडन. लेकिन 23 वर्षों बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि अक्षय तृतीया पर इस वर्ष विवाह का कोई मुहूर्त नहीं है. क्योंकि अक्षय तृतीया के दिन गुरु और शुक्र का तारा अस्त होने की वजह से विवाह का कोई भी मुहूर्त नहीं है .
वहीं जुलाई माह में 9 ,11 ,12 ,13 ,14 और 15 तारीख को विवाह का शुभ मुहूर्त बन रहा है. इसके बाद 17 जुलाई से चातुर्मास की शुरुआत हो जाएगी. जिसका समापन 12 नवंबर को होगा. हिंदू धर्म में चातुर्मास के बाद ही विवाह गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्य किए जाते हैं .
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जानें अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त 2024
वैदिक पंचांग के मुताबिक वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 10 मई को सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर होगी, जिसका समापन 11 मई को सुबह 2 बजकर 51 मिनट पर होगा। उदया तिथि के आधार पर अक्षय तृतीया 10 मई को मनाई जाएगी। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में मौजूद होंगे। अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 48 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। ऐसे में अक्षय तृतीया के दिन किया जाने वाले शुभ कार्य सफल सिद्ध होगा।
जानें अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय तृतीया को आखा तीज और कृतयुगादि तृतीया भी कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार त्रेता युग का आरंभ भी इसी तिथि को हुआ था। धार्मिक नजरिए से अक्षय तृतीया का विशेष महत्व होता है इसलिए इस युगादि तिथि के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन परशुराम का जन्म हुआ था।
इस तिथि पर भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को अक्षय पात्र दिया था। अक्षय तृतीया के दिन ही मां गंगा आक अवतरण हुआ था। मान्यता है कि इस दिन स्नान,दान,जप,होम,स्वाध्याय, तर्पण आदि जो भी कर्म किए जाते हैं,वे सब अक्षय हो जाते हैं। अक्षय तृतीया तिथि पर सोना खरीदने का विशेष महत्व होता है।
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