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Sriram Tilak: हर साल राम नवमी वक्त 12 बजे सूर्य देव करेंगे श्रीराम का तिलक, बनाई गई है शानदार टेक्नोलॉजी

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Sriram Tilak: लंबे इंतजार 550 साल के संघर्ष के बाद अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) बन रहा है. 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा (Sriram Tilak) है. दुनियाभर में प्रभु श्रीराम के भक्त बेसब्री से उस पल का इंतजार कर रहे हैं, जब भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. जान लें कि अयोध्या का राम मंदिर बहुत भव्य तरीके से बन रहा है. बताया जा रहा है कि यह मंदिर लगभग 1000 साल तक ऐसे ही मजबूती से खड़ा रहेगा. भूकंप भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा.

इसके निर्माण में छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखा जा रहा है. इस बीच, खबर आई है कि राम मंदिर में ऐसी टेक्नोलॉजी लगाने की तैयारी है, जिसके तहत हर साल राम नवमी पर सूर्य की किरणें रामलला का तिलक करेंगी. (Sriram Tilak) मंदिर में रामलला की अचल प्रतिमा के माथे पर सूर्य देव तिलक करेंगे. सुनकर तो ये मुश्किल लग रहा होगा लेकिन साइंस की वजह से ये मुमकिन है. आइए जानते हैं कि रामलला का सूर्य तिलक कैसे होगा?

इतने टाइम तक होगा रामलला का सूर्य तिलक

जानकारी के मुताबिक, हर साल चैत्र महीने की राम नवमी को दोपहर ठीक 12 बजे सूर्य की किरणें सीधे भगवान रामलला की अचल प्रतिमा के मस्तिष्क पर 6 मिनट के लिए पड़ेंगी. साइंटिस्ट इसके लिए राम मंदिर में गजब की टेक्नोलॉजी लगाने वाले हैं. (Sriram Tilak) सूर्य तिलक मिरर और लेंस की मदद से संभव होगा. सूर्य की किरणें राम मंदिर के शिखर से प्रवेश करके मिरर और लेंस के जरिए गर्भगृह तक पहुंचेंगी और प्रभु श्रीराम का सूर्य तिलक करेंगी.

जानें कैसे संभव होगा श्रीराम का सूर्य तिलक?

सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के चीफ साइंटिस्ट आर. धर्मराजू ने बताया कि सूर्य तिलक के लिए मंदिर के तीसरे फ्लोर पर एक ऑप्टिकल लेंस लगाया जाएगा. उसके जरिए सूर्य की किरणें पाइप में लगे रिफ्लेक्टर की मदद से गर्भगृह तक पहुंचेंगी, जहां भगवान श्रीराम की अचल प्रतिमा होगी. (Sriram Tilak) लेंस और रिफ्लेक्टर को ऐसा सटीक सेट किया जाएगा कि सूर्य की किरणें सीधे भगवान के माथे पर पड़ेंगी और उनका सूर्य तिलक होगा. हर साल राम नवमी को करीब 6 मिनट तक सूर्य की किरणें प्रभु का तिलक करेंगी.

जानें सूर्य तिलक टेक्नोलॉजी पर कौन कर रहा काम?

बता दें कि सूर्य तिलक की टेक्नोलॉजी पर साइंटिस्ट एस. के. पाणिग्रही के नेतृत्व वाली टीम काम कर रही है. इसमें इस्तेमाल होने वाले सारे इक्विपमेंट बनकर तैयार हैं. (Sriram Tilak) सीनियर साइंटिस्ट देबदत्त घोष ने बताया कि इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ऐस्ट्रोफिजिक्स ने भी इसे डिजाइन करने में अपना योगदान दिया है. उन्होंने बताया कि सूर्य तिलक के लिए मंदिर निर्माण उसी के हिसाब से हो रहा है. हालांकि, सूर्य तिलक तभी हो पाएगा, जब राम मंदिर पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा.

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