नई दिल्ली। दुनिया में लगातार युद्ध अक्रामक होते जा रहा है। लंबे समय से जहां युक्रेन और रूस का युद्ध चल रहा है। इसका अंत क्या होगा कोई नहीं जानते। इस युद्ध बीच 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमला बोला और बड़े ही बर्बर तरीके से 1200 से अधिक इजरायलियों की हत्या कर दी और 250 लोगों को बंधक भी बना लिया. हमास की इस क्रूरतापूर्ण कार्रवाई के बाद इजरायल ने हमास को नेस्तनाबूद करने का प्रण लिया और उसने जो किया वो पूरी दुनिया देख रही है.
फिलिस्तीन के गाजा में हवाई और जमीनी हमले करके इजरायल ने हमास की कमर पूरी तरह तोड़ दी. इजरायल के निशाने पर पहले सिर्फ हमास ही था और वो अपने तरीके से हमास को निपटाने में ही लगा था तभी लेबनान की धरती से हिजबुल्लाह ने भी इजरायल के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया. उसने सैकड़ों रॉकेट और मिसाइल से इजरायल को निशाना बनाया.
फिर क्या था? इजरायल ने हमास को छोड़ हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमला बोल दिया. इजरायल ने कुछ ही दिनों के अंदर हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह सहित कई टॉप कमांडर को मार गिराया. इजरायल अब तक इस लड़ाई में हमास और हिजबुल्लाह के तमाम बड़े कमांडर का काम तमाम कर चुका है. इजरायल इतने पर ही नहीं रुका, उसके अगले निशाने पर थे हूती विद्रोही. इजरायल ने यमन के होदेइदाह बंदरगाह पर जबरदस्त हवाई हमला करके सैकड़ों हूती विद्रोहियों को मार गिराया.
हूती विद्रोहियों ने भी पहले इजरायल पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया था. ईरान हमास और हिजबुल्लाह के साथ हूती विद्रोहियों का भी समर्थन करता है. इजरायल ने होदेइदाह बंदरगाह को इसलिए निशाना बनाया क्योंकि हूती विद्रोही इसका इस्तेमाल करके ईरान से हथियारों की तस्करी करते हैं और पिछले कई सालों से इस बंदरगाह पर हूती विद्रोहियों का कब्जा है.
इजरायल बनाम ईरान
वैसे तो इजरायल के खिलाफ सीधी लड़ाई से ईरान बच रहा था लेकिन इजरायल के दुश्मनों को आर्थिक मदद के साथ हथियारों की भी सप्लाई कर रहा था. पिछले साल हमास के हमले के पहले भी इजरायल की छिटपुट लड़ाई तो हो रही थी लेकिन अब इजरायल सालों पुराने अपने दुश्मनों को जड़ से खत्म करने की रणनीति पर चल रहा है. इजरायल ने हमास और हिजबुल्लाह के तमाम टॉप कमांडर को निपटाकर अपनी मंशा भी जता दी कि वो अपने खिलाफ होने वाले किसी भी हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा. कुछ ही दिन पहले बेंजामिन नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र संघ में बिना नाम लिए ईरान को चेतावनी देते हुए कहा था कि जो लोग इजरायल को निशाना बनाएंगे, उन्हें इसका परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा. नेतन्याहू ने ये भी कहा था कि इजरायल की पहुंच से बाहर कोई जगह नहीं है.
इजरायल के आक्रामक तेवर से ईरान भी बैकफुट पर आता नजर आ रहा है. हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद अब ईरान को भी अब इजरायली हमले का डर सताने लगा है. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई को किसी सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया गया है. अब ईरान इस पूरे मामले को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई है. जाहिर है ईरान आने वाले संभावित खतरों को भांप चुका है और अपने बचाव के रास्ते खोज रहा है.
रूस बनाम यूक्रेन
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को अब हजार दिन से भी ज्यादा हो गए. इस लड़ाई में एक तरफ रूस है जिसके साथ चीन खड़ा है तो यूक्रेन को अमेरिका समेत नाटो का साथ मिल रहा है. इस लड़ाई की वजह से वैसे ही तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बना हुआ है. हालांकि भारत समेत कुछ देश इस युद्ध को रुकवाने की कोशिश में लगे हैं लेकिन युद्ध खत्म होने के कोई संकेत अब तक मिलता नहीं दिख रहा. अगर दोनों देशों के बीच युद्ध विराम नहीं हुआ तो यूरोप का युद्ध मैदान बन जाना तय समझिए. इसी यूरोप की ओर युद्ध की चिंगारी मिडिल ईस्ट की ओर से आती दिख रही है. जिस तरह से इजरायल एक के बाद एक हमले कर रहा है वो कब बड़े युद्ध में बदल जाए कोई नहीं जानता. क्योंकि ईरान के अलावा मिडिल ईस्ट के कई और देश भी इजरायल को अपना दुश्मन मानते हैं और वो भी किसी सही मौके का इंतजार कर रहे हैं. संकेतों को मानें तो तीसरे विश्व युद्ध के खतरे का सबसे घना साया यूरोपीय देशों के ऊपर मंडरा रहा है.
चीन बनाम ताइवान!
लंबे समय से ताइवान चीन के खिलाफ होने वाली संभावित युद्ध की तैयारी कर रहा है. ताइवान के साथ अमेरिका मजबूती से खड़ा है और उसकी मदद के लिए उसने 567 मिलियन डॉलर के रक्षा सौदे को मंजूरी दी है. इतना ही नहीं ताइवान को अमेरिका से 100 जमीन से लॉन्च होने वाले हार्पून एंटी शिप मिसाइलों की पहली खेप मिल भी गई है. चीनी हवाई हमले से सुरक्षा में ये मिसाइल ताइवान के काम आएंगे. उधर जापान का एक युद्धपोत कुछ दिन पहले ताइवान स्ट्रेट से होकर निकला. ये स्ट्रेट ताइवान और चीन के बीच है और चीन इसपर दावा करता रहा है. इन संकेतों को माने तो लड़ाई का एक और फ्रंट खुलता दिख रहा है जिसमें एक और महाशक्ति शामिल हो जाएगा. लड़ाई के दो फ्रंट पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से दुनिया के कई देश शामिल हैं और अगर तीसरा फ्रंट भी खुलता है तो तीसरे महायुद्ध का खतरा भी बड़ा हो जाएगा.