क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोई व्यक्ति 46 वर्षों से रोजाना सिर्फ दो बिस्किट और एक कप ग्रीन टी पर जी रहा हो। यह सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बागबाहरा ब्लॉक के पंडरीपानी गांव के 73 वर्षीय रामू यादव की कहानी बिल्कुल यही है।
रामू यादव, एक साधारण किसान और साइकिल मैकेनिक है। उसने 27 साल की उम्र में भोजन त्याग दिया। पेट में असहनीय दर्द और लगातार उल्टियों ने उन्हें डॉक्टरों के पास पहुंचाया। डॉक्टरों की सलाह पर उन्होंने ठोस भोजन छोड़कर सिर्फ ग्रीन टी और दो बिस्किट को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया।
रामू यादव की जिंदगी के प्रमुख पहलू-
खास दिनचर्या –
रोजाना सुबह से शाम तक साइकिल रिपेयरिंग और पंचर बनाने का काम।
दिनभर की खुराक केवल एक कप ग्रीन टी और दो बिस्किट।
बीमारी का कारण –
डॉक्टरों के मुताबिक, रामू “गैस्ट्रोपेरेसिस” नामक बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं। यह स्थिति पेट की भोजन पचाने की क्षमता को बाधित करती है।
पत्नी की गवाही –
उनकी पत्नी बताती हैं कि जब से उन्होंने भोजन करना छोड़ा है, वे स्वस्थ रहते हैं। एक बिस्किट का पैकेट 2-3 दिनों तक चलता है।
अध्यात्मिक जुड़ाव –
रामू की जीवनशैली साधु-संन्यासियों जैसी लगती है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखते हैं।
क्या कहता है चिकित्सा विज्ञान –
विशेषज्ञों का मानना है कि रामू का मामला दुर्लभ है और यह उनके शरीर की अनुकूलन क्षमता को दर्शाता है।
मानसिक संतोष और आदत का भी इसमें बड़ा योगदान हो सकता है।
आध्यात्मिक और प्रेरणादायक पहलू
रामू यादव की कहानी न केवल चिकित्सा विज्ञान को चौंकाती है, बल्कि यह मानव मन और शरीर की क्षमताओं पर गहरी प्रेरणा देती है। उनके लिए ग्रीन टी और बिस्किट न केवल भोजन हैं, बल्कि जीवन की आवश्यक ऊर्जा का स्रोत भी हैं।
उनकी कहानी यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या सीमित संसाधनों में भी जीवन को संतुलित और खुशहाल बनाया जा सकता है।
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