सोशल मीडिया ने बेनकाब किया महासमुंद पुलिस का रिश्वतखोर चेहरा –

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वायरल वीडियो में दो जवान शराब की अवैध बिक्री करने माफिया से वसूल रहे हफ्ता

महासमुंद जिले के सराईपाली क्षेत्र में कानून के रक्षक ही कानून की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं। एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें सिविल ड्रेस में पुलिसकर्मी अवैध शराब बिक्री के लिए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ रिकार्ड किए गए हैं। इस शर्मनाक वीडियो ने न केवल स्थानीय पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह भी उजागर किया है कि कैसे हर महीने बदलते टीआई और पुलिसकर्मियों की मिलीभगत से अवैध शराब कारोबार फल-फूल रहा है।

“यहां हर महीने नया टीआई आया है, कितने को मैनेज करेंगे

वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि एक महिला पुलिसकर्मियों को खुलेआम कह रही है, “यहां हर महीने नया टीआई आया है, कितने को मैनेज करेंगे’। यह बयान भ्रष्टाचार के उस गहरे दलदल को दिखाता है जिसमें पुलिसकर्मी खुद डूबे हुए हैं। महिला आगे कहती है, “कुछ दिन पहले भी तो आए थे, “जिससे यह साफ हो जाता है कि यह पहला मौका नहीं है जब इस तरह की अवैध गतिविधियों में पुलिसकर्मी लिप्त पाए गए हैं। वीडियो में दिख रहे पुलिसकर्मियों की पहचान अंकित कसेरा, रोशन सेठ और ओमप्रकाश टंडन के रूप में की गई है। सूत्रों का कहना है कि वीडियो के वायरल होने के बाद भी वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया है, बल्कि मामले को दबाने के लिए समझौता करने की कोशिश की जा रही है।

टीआई प्रवीण चौहान ने झाड़ा पल्ला : सरायपाली के टीआई प्रवीण चौहान ने इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उनके संज्ञान में ऐसा कोई वीडियो नहीं है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब उनके ही थाना क्षेत्र में पुलिसकर्मी खुलेआम अवैध धंधे को संरक्षण दे रहे हैं, तो क्या उनकी अनदेखी भी इस खेल का हिस्सा है।

देशद्रोह की श्रेणी में आती है यह गतिविधि : भारतीय न्याय संहिता के अनुसार, किसी भी लोक सेवक द्वारा रिश्वत लेना अपराध है। पुलिस के खिलाफ न केवल विभागीय जांच होनी चाहिए, बल्कि उन्हें तुरंत निलंबित कर कार्रवाई की जानी चाहिए। कानून के रक्षक और अपराधियों के साथ हाथ मिला ले, तो इसे देशद्रोह से कम नहीं कहा जा सकता।

जनता का पुलिस से उठ रहा भरोसा : सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब मामला इतना साफ है, वीडियो में पुलिसकर्मी खुद नोट गिनते नजर आ रहे हैं, फिर भी अब तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या यह पूरा सिस्टम ही भ्रष्टाचार के जाल में फंस चुका है? अगर पुलिस खुद अवैध धंधे में शामिल है, तो आम जनता किस पर भरोसा करेगी।

आखिर कब तक चलेगा यह खेल : पुलिसकर्मियों की यह करतूत कोई नई नहीं है। हर महीने नया टीआई आकर सेटिंग कर रहा है, और अवैध शराब की बिक्री धड़ल्ले से जारी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि कब तक यह भ्रष्टाचार का खेल चलता रहेगा? क्या पुलिस की छवि हमेशा यूं ही धूमिल होती रहेगी, या फिर इस बार कोई सख्त कदम उठाकर दोषियों को सजा दी जाएगी।

 

 

 

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