दिनदहाड़े धारदार हथियारों के चलने की गवाही दे रहे सरेराह बिखरे खून के धब्बे, दो दिन बाद भी पुलिस को इन्फार्मर का इंतजार

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0 कोमाखान थाना क्षेत्र में बदमाशों की करतूत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल।

0 टीआई कह रहे- कोई पीड़ित सूचना देने थाने आए तब पुलिस दिखाएगी सक्रियता।

महासमुंद जिले के कोमाखान थाना क्षेत्र में दो दिन पहले हुई चाकूबाजी की घटना ने इलाके में सनसनी फैला दी है। दिनदहाड़े हुए इस हमले में बदमाशों ने धारदार हथियारों से हमला किया है। घटनास्थल पर बिखरे खून के धब्बे इस हिंसक वारदात की गवाही दे रहे हैं। नर्रा रोड काेमाखान में पेट्रोल पंप के पास हुए इस हमले में घायल युवक को सराईपाली गांव का निवासी बताया जा रहा है। हालाँकि, घटना के 20 घंटे बाद भी पुलिस अब तक FIR दर्ज नहीं कर पाई है। कोमाखान टीआई का कहना है कि खून के धब्बे बिखरे होने की सूचना है, लेकिन घटना का कोई पीड़ित थाने आकर जानकारी नहीं देगा तो कार्रवाई कैसे और किस पर करें।

घटना के बाद सोशल मीडिया पर घटनास्थल के खून से सने वीडियो और तस्वीरें वायरल हो रही हैं। लोगों का कहना है कि जब सबूत और साक्ष्य सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं, तो पुलिस अब तक मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है। घायल युवक के बारे में स्थानीय लोगों ने जानकारी दी है, लेकिन पुलिस ने अभी तक मामले को गंभीरता से नहीं लिया है। पुलिस का तर्क है कि जब तक कोई औपचारिक रूप से FIR दर्ज नहीं करता, तब तक वे सक्रिय नहीं हो सकते।

यह घटना सिर्फ एक दिन की नहीं है, बल्कि इससे पहले भी कोमाखान क्षेत्र में आपराधिक घटनाएं होती रही हैं। मनोज तिवारी की संदिग्ध मौत का मामला चार महीने बाद भी अनसुलझा है, और पुलिस इस मामले में भी सक्रिय नजर नहीं आ रही है। अब इस नई घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर लोगों ने पुलिस की आलोचना करते हुए कहा है कि यदि पुलिस इस प्रकार की घटनाओं में जल्दी कार्रवाई नहीं करती, तो अपराधियों के हौसले और बुलंद हो जाएंगे।

वायरल फोटो

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कोमाखान थाना क्षेत्र में बदमाशों की करतूत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल

पुलिस की भूमिका पर भारतीय कानून : भारतीय दंड संहिता और पुलिस अधिनियम के तहत पुलिस का कर्तव्य होता है कि किसी भी संज्ञेय अपराध की सूचना मिलने पर वे तुरंत FIR दर्ज करें और जांच शुरू करें। भारतीय संविधान की धारा 154 में यह स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी संज्ञेय अपराध की सूचना पुलिस को दी जाती है, तो FIR दर्ज करना पुलिस का कानूनी कर्तव्य है। यहां तक कि अगर कोई औपचारिक शिकायतकर्ता नहीं है, फिर भी पुलिस को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए मामले की तहकीकात करनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं : इसके अनुसार, अगर कोई अपराध सामने आता है, तो पुलिस उस अपराध के बारे में मिली जानकारी के आधार पर भी FIR दर्ज कर सकती है। यह भी कहा गया है कि पुलिस सोशल मीडिया, वीडियो, या अन्य डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर भी कार्रवाई कर सकती है। अगर पुलिस FIR दर्ज नहीं करती है, तो यह कर्तव्य की उपेक्षा मानी जाती है, जिसके लिए  संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

कोमाखान क्षेत्र में जनता की अपेक्षाएं : इस घटना से साफ है कि कोमाखान क्षेत्र के लोग पुलिस से त्वरित और सख्त कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर पुलिस समय रहते इन घटनाओं पर नियंत्रण नहीं करती, तो अपराधी बेखौफ होकर और भी खतरनाक वारदातें कर सकते हैं। वर्तमान में सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और तस्वीरें इस बात का प्रमाण हैं कि अपराध को नजरअंदाज करना न केवल पुलिस के लिए घातक हो सकता है, बल्कि समाज के लिए भी।

 

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