पूर्व PM मनमोहन सिंह का गुरुवार रात दिल्ली के एम्स में निधन हो गया. उन्होंने 92 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. साल 2004 से 2014 तक PM के पद पर रहने वाले मनमोहन सिंह को ऐसे समय में वित्त मंत्री की कुर्सी सौंपी गई जब देश भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा था. 1991 में जिस समय उन्हें वित्त् मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई उस समय भारत के पास महज 89 करोड़ डॉलर की विदेशी मुद्रा रह गई थी. इस पैसे से केवल दो सप्ताह के आयात का खर्च चल सकता था. लेकिन मनमोहन सिंह ने कुर्सी संभालने के बाद अपने फैसलों से बाजी पलट दी. आइए जानते हैं मनमोहन सिंह के वित्त् मंत्री बनने का दिलचस्प स्टोरी
गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था भारत…
जून 1991 में जिस समय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने पद संभाला तो उन्हें देश के आर्थिक हालात के बारे में बेहद गंभीर नोट मिला. यह आठ पेज का नोट उन्हें कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा ने दिया. इस नोट में बताया गया कि भारत एक गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और कठिन कामों को प्रधानमंत्री को तवज्जो देनी चाहिए. इसमें बताया गया कि देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार बहुत कम बचा है, इससे कुछ हफ्तों का ही आयात ही किया जा सकता है.
देश के पास बचा था दो हफ्ते का आयात का खर्च
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की हालत इतनी खराब थी कि यह अगस्त, 1990 तक 3 अरब 11 करोड़ डॉलर रह गया था. जनवरी, 1991 में यह घटकर महज 89 करोड़ डॉलर पर आ गया, जिससे केवल दो हफ्ते का आयात खर्च ही चल सकता था. यह स्थिति कई कारणों से पैदा हुई. 1990 में हुए खाड़ी युद्ध के कारण तेल की कीमतें कई गुना बढ़ गई थीं. भारत को कुवैत से अपने हजारों नागरिकों को वापस लाना पड़ा था. इसका नतीजा यह हुआ कि उनकी तरफ से भेजी जाने वाली विदेशी मुद्रा पूरी तरह से रुक गई. इसके अलावा, देश में राजनीतिक अस्थिरता और मंडल आयोग की सिफारिशों को लेकर विरोध प्रदर्शन ने भी इकोनॉमी को कमजोर किया. देश की आर्थिक चुनौतियों से लड़ने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री ने पीवी नरसिम्हा राव ने वित्त मंत्री के तौर पर डॉ. मनमोहन सिंह को चुना था.
सो रहे मनमोहन सिंह को जगाकर बनाया वित्त मंत्री…
भारत की तरफ से 80 के दशक में लिए गए शॉर्ट टर्म लोन की ब्याज दर बढ़ गई थी. महंगाई दर बढ़ कर 16.7 फीसदी पर पहुंच गई. इन कठिन हालात को देखकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव अपने मंत्रिमंडल में ऐसे वित्त मंत्री को रखना चाहते थे, जो उन्हें आर्थिक संकट से निकाल सकें. नरसिम्हा राव ने अपने दोस्त और इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव रहे पीसी अलेक्जेंडर से इस बारे में बातचीत की. अलेक्जेंडर ने उन्हें आरबीआई के पूर्व गवर्नर आईजी पटेल और मनमोहन सिंह के बारे में बताया. अलेक्जेंडर मनमोहन सिंह के पक्ष में थे इसलिए उन्हें ही मनमोहन सिंह से बात करने की जिम्मेदारी दी गई.
PC अलेक्जेंडर ने अपनी आत्मकथा में किया जिक्र
पीसी अलेक्जेंडर ने अपनी आत्मकथा (Autobiography) ‘थ्रू द कोरीडोर्स ऑफ पावर एन इनसाइडर्स स्टोरी’ (Through the Corridors of Power: An Inside Story) में लिखा, ’20 जून को मैंने मनमोहन सिंह के घर पर फोन लगाया. उनके नौकर ने फोन उठाया और बताया कि वो यूरोप गए हुए हैं, आज देर रात तक दिल्ली लौटेंगे. 21 जून की सुबह मैंने फिर उन्हें सुबह साढ़े पांच बजे फोन किया तो नौकर ने कहा कि साहब गहरी नींद में हैं, उन्हें जगाया नहीं जा सकता. मेरे काफी जोर देने पर उसने मनमोहन सिंह को जगा दिया और उनसे मेरी बात हुई.
इस दौरान मैंने उनसे कहा कि मेरा आपसे मिलना बहुत जरूरी है. कुछ ही देर में आपके घर पहुंच रहा हूं. जब थोड़ी देर बाद मैं मनमोहन सिंह के घर पहुंचा तो मनमोहन सिंह दोबारा सो चुके थे.’ अलेक्जेंडर ने लिखा, मनमोहन सिंह को फिर किसी तरह जगाया गया. अलेक्जेंडर ने उनको नरसिम्हा राव से हुई बातचीत के बारे में बताया और कहा किवो उन्हें वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपना चाहते हैं. सिंह ने इस पर अलेक्जेंडर की राय जानना चाही, इस पर उन्होंने कहा “अगर मैं इसके खिलाफ होता तो इस समय पर आपसे मिलने नहीं आता.’
नरसिम्हा राव ने दिया था साफ संदेश…
इसके बाद मनमोहन सिंह के नाम का ऐलान वित्त मंत्री के तौर पर किया गया. शपथ लेने से पहले नरसिम्हा राव ने मनमोहन सिंह से कहा था, ‘मैं आपको काम करने की पूरी आजादी दूंगा. अगर हमारी पॉलिसी सफल होती हैं तो हम सब उसका क्रेडिट लेंगे. लेकिन अगर असफल हुए तो आपको जाना पड़ेगा.’ 24 जुलाई, 1991 को पहली बार मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के तौर पर अपने भाषाण की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने कहा वह राजीव गांधी के मुस्कराते हुए चेहरे को मिस कर रहे हैं. जयराम रमेश ने अपनी किताब में लिखा है, ‘मनमोहन सिंह ने पूरे भाषण के दौरान उस परिवार का बार-बार नाम लिया जिसकी नीतियों और विचारधारा को वो बजट के जरिये एक तरफ से पलट रहे थे.’ मनमोहन सिंह ने अपने बजट भाषण में खाद पर दी जाने वाली सब्सिडी को 40 प्रतिशत कम कर दिया . इसके अलावा चीनी और एलपीजी सिलेंडर के दाम में इजाफा कर दिया
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