
कोमाखान (बागबाहरा)| सुअरमाल परिक्षेत्र कलार समाज का वार्षिक अधिवेशन सोमवार को वनांचल क्षेत्र के ग्राम भलेसर में श्रद्धा और गरिमा के साथ संपन्न हुआ। समाज के आराध्य भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन की पूजा और डड़सेना वंदना के साथ शुरू हुए कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष डॉ. नीरज गजेंद्र ने समाज और जनप्रतिनिधियों को नई दृष्टि देने वाला उद्बोधन दिया।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ. नीरज ने हालिया पंचायत चुनावों में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे समाज सेवा में केवल ऊंचाई नहीं, व्यापकता भी लाएं। उन्होंने कहा कि खजूर की तरह अकेले ऊंचे नहीं, बरगद की तरह फैलकर छायादार बनें। जो सबको अपनी छांव में जगह देता है, वही सच्चा जनसेवक होता है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे समाज के हर व्यक्ति को समान दृष्टि से देखें, मार्गदर्शन करें और शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुंचाने में अपनी भूमिका निभाएं।
समाज के जिला संरक्षक ईश्वर सिन्हा ने वैवाहिक आयोजनों में हो रहे अनावश्यक खर्चों पर चिंता जताई और सनातन परंपराओं के अनुरूप सादगीपूर्ण विवाह की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि समाज यदि रीति-रिवाजों की मर्यादा में रहेगा, तो नई पीढ़ी को भी सही दिशा मिलेगी। अधिवेशन में मंडलेश्वर पुनीत सिन्हा (पिथौरा), दानेश्वर सिन्हा (खल्लारी), युवा मंच अध्यक्ष दौलत सिन्हा और शिक्षक मुरलीधर सिन्हा ने भी समाज में शिक्षा, रोजगार और संस्कृति के विषयों पर विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मंडलेश्वर प्रेमशंकर सिन्हा ने समाज के प्रबुद्ध और होनहार लोगों की सक्रिय भागीदारी की सराहना की। संचालन पूर्व सरपंच बलराम सिन्हा और डिगन सिन्हा ने किया।
इस अवसर पर पंचायतों के विभिन्न पदों पर निर्वाचित जनप्रतिनिधि सरपंच खेमराज सिन्हा (मोंगरापाली), खिलेश्वरी सिन्हा (खट्टी) समेत पंचों का सामाजिक अभिनंदन किया गया। अधिवेशन में जिला उपाध्यक्ष भूखनलाल सिन्हा, महिला मंच अध्यक्ष कल्पना सिन्हा, पूर्व मंडलेश्वर तुकनंदन सिन्हा, कोषाध्यक्ष रमन सिन्हा, आत्माराम गजेंद्र, सचिव कंवल सिन्हा, खोलराज छोटू डड़सेना (जिलाध्यक्ष, नुआपाड़ा), ईश्वर सिन्हा, भुखऊ सिन्हा, कंचन सिन्हा, हेमंत सिन्हा, चिंताराम सिन्हा, गैंदलाल सिन्हा, नरसिंह सिन्हा और नेताराम सिन्हा सहित प्रदेश, जिला, मंडल और ग्राम स्तर के अनेक पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल हो बहादुर कलारिन की शौर्यगाथा : डॉ. नीरज गजेंद्र