मैं किसी राजनीतिक दल या प्रत्याशी का प्रस्ताव लेकर नहीं आया हूं। मैं एक वोटर हूं और यहां वोटर की जिम्मेदारी का प्रस्ताव रख रहा हूं। परंतु यह विश्वास अवश्य दिलाता हूं कि यदि वोटर अपने कर्तव्य का पालन करेगा, तो सत्ता को भी जनता का निर्णय स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं होगा। हे जनता… हे जनार्दन! आप केवल एक मतदाता नहीं, लोकतंत्र की आत्मा हैं।
आप ज्ञानी हैं, और यह जानते हैं कि मतदान कोई प्रस्ताव नहीं है, जिस पर समझाने या समझने का दौर चले। मतदान एक आवश्यकता है। मतदान कोई औपचारिकता नहीं, यह आपकी शक्ति है, जो नगर और ग्राम के प्रदेश और देश की नियति तय करती है। चुनाव में जीत किसी एक की होती है, किंतु हारने और जीतने वाले दोनों ही प्रत्याशी आपके बीच के लोग होते हैं। यह चुनाव केवल एक व्यक्ति या दल का भविष्य तय नहीं करेगा, बल्कि आपके नगर, गांव और संतति का भविष्य भी इसी से जुड़ेगा।
राजनीतिक दल और प्रत्याशी हर चुनाव में मतदाताओं को लालच और प्रलोभनों से भरने की कोशिश करते हैं। कभी शराब, कभी पैसे, कभी वस्त्रों के रूप में आपकी नैतिकता खरीदने की कोशिश की जाती है। क्या आप अपनी जिम्मेदारी इतनी सस्ती बेच सकते हैं। क्या पांच साल की तकलीफों की कीमत एक दिन के आनंद से कम है। क्या यह आपकी आत्मा को स्वीकार है कि आप लोकतंत्र की मूल भावना को खुद अपने हाथों अपवित्र करें। यदि आप लापरवाह हुए, तो इस नगर और गांव का बिखरना तय है।
यदि ऐसा हुआ, तो भविष्य की कठिनाइयों के लिए कोई और नहीं, बल्कि आप ही जिम्मेदार होंगे, उत्तरदायी होंगे। लोकतंत्र के प्रतीक, आप भारत के निर्माता हैं। चुनाव में न्याय कीजिए, ताकि नगर और गांव विकास के मार्ग पर चले। इसी में भारतवर्ष की भलाई है। इतिहास उन्हें दोष नहीं देगा, जिन्होंने आपको भ्रमित किया। बल्कि इतिहास आपसे पूछेगा कि आपने उन प्रलोभनों को स्वीकार क्यों किया। क्या आपके मत की कीमत शराब, कंबल, नगदी या किसी और लालच से कम आंकी जा सकती है। इतिहास उनसे भी यह नहीं पूछेगा कि उन्होंने पैसे क्यों बांटे, बल्कि आपसे पूछेगा कि आपने क्यों उन्हें स्वीकार किया।
विकास का मुद्दा पीछे छूट जाता है, क्योंकि कुछ नेता जानते हैं कि आपकी जरूरतें तात्कालिक हैं, आपकी याददाश्त अल्पकालिक है। वे आपको बहलाते हैं, भ्रमित करते हैं और आपकी मंशा को अपनी महत्वाकांक्षा की सीढ़ी बना लेते हैं। लेकिन आप, हे जनार्दन, आप ज्ञानी हैं! आप विवेकशील हैं! क्या आप सच में यह नहीं समझते कि जिनके हाथों में आप सत्ता सौंपते हैं, वे ही आपके भविष्य के निर्माता हैं। जब गलियां अंधेरे में डूबतीं हैं। सड़कें गड्ढों से भरी होती हैं। पानी की किल्लत होती है। रोजगार नहीं मिलता, तब क्या आप उन क्षणों को याद नहीं करते, जब आपने एक कंबल या एक बोतल शराब के लिए अपने मत को गिरवी रख दिया था। क्या आपको यह अहसास होगा कि जिन लोगों को आपने सत्ता दी, वे केवल अपने स्वार्थ के लिए चुने गए थे, आपके भविष्य के लिए नहीं।
मतदान केवल आपका अधिकार नहीं, यह आपकी जिम्मेदारी भी है। लोकतंत्र आपकी नैतिकता, आपके विवेक और आपके निर्णयों पर टिका हुआ है। यदि आप ही इसे दांव पर लगाएंगे, तो कोई और इसे बचाने नहीं आएगा। इतिहास उन नेताओं से सवाल नहीं करेगा, जो भ्रष्ट हैं। वह आपसे प्रश्न करेगा कि आपने उन्हें चुना क्यों। वह आपसे ही पूछेगा कि जब आपके पास एक बुद्धिमान निर्णय लेने का अवसर था, तो आपने लोभ को प्राथमिकता क्यों दी। आप जानते हैं कि जो आपके द्वार पर हाथ जोड़कर खड़े होते हैं, कल वे आपकी सुध लेने भी नहीं आते। इसलिए मत को दान समझिए और इसे सही दिशा में दीजिए। मतदान को अपने स्वाभिमान और नगर के हित में दीजिए, इसे किसी भी मूल्य पर न बेचिए। यह आपके गांव और नगर के भविष्य की नींव है। इसे प्रलोभनों के हाथों न सौंपिए।
मतदान जरूर कीजिए यह आपका अधिकार है। आपका मत न केवल आपके नगर या गांव की दशा को निर्धारित करेगा, बल्कि प्रदेश और देश की दिशा को भी प्रभावित करेगा। आपके मत का प्रभाव केवल वर्तमान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को भी आकार देगा। हे जनता! यह अवसर आपके हाथ में है। भारत के भाग्यनिर्माता आप हैं। आपके निर्णय ही इतिहास लिखेंगे। इसलिए सोच-समझकर मतदान कीजिए, विवेक से निर्णय लीजिए, ताकि आपका नगर, आपका गांव और आपका देश सही दिशा में आगे बढ़ सके।
(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक राजनीतिक रणनीतियों के विश्लेषक हैं)