कितने “”पत्रकार”” मुकेश चंद्राकर को मारोगे ??

वरिष्ठ पत्रकार राकेश प्रताप सिंह परिहार

*कटघरे में खड़े कर दिए जाएंगे जो विरोध में बोलोगे, सच को सच बोलेंगे तो मारे जाएंगे।*

(*वरिष्ठ पत्रकार राकेश प्रताप सिंह परिहार की कलम)

पत्रकार ऐसे ही होता और जो पत्रकार इस पंक्तियों को लेकर चलेगा मारा जाएगा।

ऐसे ही थे जाबांज पत्रकार मुकेश चंद्राकर

बस्तर के नक्सली इलाके बीजापुर से जान जोखिम में डालकर पत्रकारिता करने वाले पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या से पत्रकार समाज स्तब्ध है ।

30 दिसंबर को एनडीटीवी में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के द्वारा 120 करोड़ की भ्रष्टाचार वाली सड़क निर्माण की खबर दिखाई थी ।

बस यही तो अपराध था  मुकेश चंद्राकर का ।

हत्या से पहले बदन में धारदार हथियार से खूब हमला किया गया बहुत तड़फा तड़फा के मारा गया और मार कर सैप्टिक टैंक डाल कर प्लास्टर कर दिया गया ।

प्लास्टर हत्यारे के इस बात का गुरूर था कि मेरा कोई कुछ नहीं बिगड़ सकता , प्लास्टर इस ओर भी इशारा था कि जो भी मेरे खिलाफ जाएगा उसका भी यही हश्र होगा।

पत्रकार मुकेश चंद्राकर की मोबाइल में 1 जनवरी की शाम को आखिरी कॉल ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के भाई रितेश की आई थी ।

यह कोई एकली घटना नहीं है जिसमें अपराधी, विधायिका और भ्रष्ट प्रशासनिक लोगों का गठजोड़ सामने नहीं आया हो।

2004 से लेकर 2024 तक 80 पत्रकारों की हत्या भारत के अलग अलग राज्यों में की गई और इन सभी हत्याओं में अपराधी, विधायिका और भ्रष्ट प्रशासनिक लोगों का गठजोड़ सामने आया ।

हर हत्या के बाद हमारा निर्लज्ज व्यवस्था खूब उपापोह मचाएगी … न्याय की बात करेंगे , घड़ियाली अंशु बहाएंगे पर न्याय किसी को नहीं दिलाएंगे.. ।

गौरतलब है 80 पत्रकारों में आधे से ज्यादा हत्याएं 2014 के बाद हुईं है।

वर्ष 2024 में दिलीप सैनी फतेहपुर उत्तरप्रदेश,

सलमान खान राजगढ़ मध्यप्रदेश,गौरव कुशवाहा मुजफ्फरपुर बिहार, आशुतोष श्रीवास्तव जौनपुर उत्तरप्रदेश,शिव शंकर झा मुजफ्फरपुर बिहार ।

वर्ष 2023 बिमल कुमार यादव अररिया रानीगंज बिहार, सुधीर सैनी सहारनपुर उत्तरप्रदेश,धंती हीरा नगाव असम,अब्दुर रहुफ आलमगीर असम

वर्ष 2022 महाशंकर पाठक सुपौल बिहार,गोकुल यादव जुमाई बिहार,सुभाष कुमार महतो बेगूसराय,बुद्धिनाथ झा मधुबनी बिहार,मनीष कुमार सिंह पूर्वी चंपारण,सुलभ श्रीवास्तव प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश,

वर्ष 2021 रमन कश्यप लखीमपुर खीरी उत्तरप्रदेश

वर्ष 2020 राकेश सिंह बलरामपुर उत्तरप्रदेश,

उदय पासवान सोनभद्र उत्तरप्रदेश, सूरज पांडे उन्नाव उत्तरप्रदेश,पराग भुइयां तिनसुकिया असम, इजरायेल मूसा चेन्नई तमिलनाडु,

सैय्यद आदिल वहाब भोपाल मध्यप्रदेश, फराज असलम कौशांबी उत्तरप्रदेश, रतन सिंह बलिया फेफाना उत्तरप्रदेश, विक्रम जोशी गाजियाबाद उत्तरप्रदेश, शुभममणि त्रिपाठी उन्नाव।

वर्ष 2019 कुलदीप व्यास बूंदी कोटा राजस्थान, राजेश तोमर शाहजहांपुर उत्तरप्रदेश,चक्रेश जैन छतरपुर (शाहगढ़) मध्य्प्रदेश,

2018 राधेश्याम शर्मा कुशीनगर उत्तरप्रदेश, चंदन तिवारी पथलगढ़ा चतारा झारखंड, संदीप शर्मा मध्यप्रदेश,शुजात बुखारी राइजिंग कश्मीर श्रीनगर जम्मू कश्मीर,अक्षय सिंह (झाबुआ मेघनगर मध्य्प्रदेश) व्यापाल घोटाले कवरेज के दौरान संदिग्ध परिस्थियों में मौत, नवीन निष्चल  एव विजय सिंह दैनिक भास्कर भोजपुर(आरा) बिहार,अच्युतानंद (डी डी न्यूज़) कैमरा मैंने दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़

वर्ष 2017 नित्यानंद पांडे (इंडिया अनबाउंड) ठाणे भिवंडी महाराष्ट्र,गौरी लंकेश (लंकेश पत्रिका)बेंगलुरु कर्नाटका, शांतनु भौमिक  त्रिपुरा, सुदीप दत्ता भौमिक (स्यन्दन पत्रिका) वनकार्ड बोधिजंग नगर त्रिपुरा, श्याम शर्मा (इंदौर) मध्यप्रदेश,ब्रजकिशोर  ब्रजेश समस्तीपुर बिहार,कमलेश जैन (पिपलीया) मध्यप्रदेश, के.जे.सिंह (मोहाली) पंजाब,राजेश मिश्र (गाजीपुर) उत्तरप्रदेश, नवीन गुप्ता (हिन्दुस्थान अखबार) कानपुर बिल्लौर उत्तरप्रदेश,राजेश श्योराण हरियाणा,

वर्ष 2016 करुणा मिश्र (जनादेश टाइम ) सुलतानपुर  उत्तरप्रदेश,धर्मेंद्र सिंह रोहतास बिहार,रामचंद्र यादव दरभंगा बिहार,राजदेव रंजन (हिंदुस्तान टाइम)सिवान बिहार,किशोर दवे (जय हिंद)जूनागढ़ गुजरात, तरण मिश्रा जन संदेश, इंद्रदेव यादव उर्फ अखिलेश प्रताप (देवरिया) झारखंड।

वर्ष 2015 संजय पाठक फरीदपुर उत्तरप्रदेश,

हेमन्त यादव चंदौली उत्तरप्रदेश,करुणा मिश्रा  उत्तरप्रदेश,संदीप कोठारी, फ्रीलांस,जबलपुर, मध्य प्रदेश,जगेन्द्र सिंह, फ्रीलांस, उत्तर प्रदेश, शाहजहांपुर,

वर्ष 2014 MVN शंकर, आंध्र प्रभा, आंध्र प्रदेश,

तरुण कुमार आचार्य, कनक टीवी, सम्बाद ओडिशा,

क्या सच के लिए आवाज उठाने की इतनी बेरहम सजा दी जाएगी ?

सिस्टम में बैठे बेईमान अधिकारियो और नेताओं का ऐसे दरिदों को खूब संरक्षण मिलता रहा है ।

कल किसका नंबर आएगा पता नहीं,

भू- माफिया, खनिज माफिया,राजनीतिक माफिया और प्रशासन माफिया की खबर दिखाने पर मुझ जैसे अनेकों अनेक पत्रकारों को दिनदहाड़े गर्दन काट देने की, जान से मार देने, सलाखों के पीछे सड़ा देने और ब्लैक मेलिंग में फंसा देने धमकी मिलती है ।

न्याय की कोई आस नहीं है,पत्रकार समाज आज बहुत उद्देलित है,आक्रोशित है।

क्या ऐसे ही सच का आवाज उठाने वालों को बेरहमी से मारा जाता रहेगा ?

बहुत जरूरी है पत्रकारों की स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए सबल, मजबूत पत्रकार सुरक्षा कानून लाया जाय जिससे कलमकार निर्भीक हो कर अपनी बात समाज तक पहुंचा सके ।

*राकेश प्रताप सिंह परिहार ( कार्यकारी अध्यक्ष अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति , पत्रकार सुरक्षा कानून के लिए संघर्षरत)*

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