आध्यात्मिक मूल्यों से प्रेरित आपकी आत्मनिर्भरता और कर्मशीलता ही लाएगी रामराज्य

ज़िंदगीनामा

ज़िंदगीनामा : डॉ. नीरज गजेंद्रआजकल ‘श्री राम’ से जुड़े नारे कुछ कम सुनाई दे रहे हैं। क्या सच में ‘रामराज्य’ आ गया है, या फिर जो उम्मीदें इन नारों से जुड़ी थीं, वो दम तोड़ रही हैं। याद कीजिए, जब यह जयकारा बुलंद हुआ था, तब कहा गया था कि अगर ‘फलां’ का साथ देंगे, तो आपका ‘भला’ हो जाएगा। वक्त बीतते-बीतते लोगों को इन दिनों उसी ‘रामराज्य’ की आस में भटकते देखा जा रहा है। हम राघव की पूजा करते हैं, उनके ‘चरण’ में सिर झुकाते हैं, लेकिन उनके ‘आचरण’ को अपनाने से चूक जाते हैं। सच तो यह है कि जिस दिन हम श्रीराम के चरण के साथ उनके आचरण को भी अपने जीवन में उतार लेंगे, उसी दिन सच्चे ‘रामराज्य’ की स्थापना होगी। श्रीराम ने ‘साधन’ पर नहीं, बल्कि ‘साधना’ पर भरोसा करना सिखाया। उनके उसूलों को अगर हम अपने जीवन का हिस्सा बना लें, तो न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया में आदर्श राज्य की स्थापना संभव है।

आज की स्थिति देखिए, लोग सरकार पर जरूरत से ज्यादा निर्भर हो गए हैं। सरकारी सुविधाओं का इंतजार ऐसे किया जाता है, जैसे बाढ़ में फंसा कोई परिवार राहत का इंतजार करता हो। यह विडंबना है कि जो लोग सरकारी स्कूल और अस्पताल से दूर रहते हैं, वही लोग सरकारी सुविधा के पीछे भागते हैं। यह सोच हमें आत्मनिर्भर बनने से रोकती है। भारतीय संस्कृति में कर्म का बड़ा महत्व है। भगवद् गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि हमें बिना फल की चिंता किए कर्म करते रहना चाहिए। पर आज की पीढ़ी सरकारी नौकरी को स्थिरता और सुरक्षा का पर्याय मानती है। इसमें बुराई नहीं है, पर जब यह सोच हमें नई राहों पर चलने से रोकती है, तब यह समस्या बन जाती है।

आत्मनिर्भरता का मतलब है कि हम खुद पर भरोसा करें, अपनी काबिलियत को पहचानें और उसे निखारें। सरकारी नौकरी मिलना अच्छी बात है, पर अगर नहीं मिलती, तो इसका मतलब यह नहीं कि हमारा जीवन रुक जाएगा। आज के समय में एनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप का महत्व बहुत बढ़ गया है। अगर हम सिर्फ सरकारी नौकरी का इंतजार करते रहेंगे, तो अपनी असली क्षमता का सही इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। आत्मनिर्भर बनने से न केवल हम खुद मजबूत बनते हैं, बल्कि समाज को भी प्रेरित करते हैं। दुनिया के सफलतम देश उन्हीं के हैं, जहां लोग खुद का व्यवसाय शुरू करते हैं और दूसरों को भी रोजगार देते हैं। अगर हमारे देश के युवा सिर्फ सरकारी नौकरी के पीछे न भागें और अपने दम पर कुछ नया करने की कोशिश करें, तो हमारी अर्थव्यवस्था को भी बहुत फायदा होगा।

अब वक्त आ गया है कि हम अपनी सोच को बदलें। श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसे आदर्शों से प्रेरणा लेकर कर्म को सर्वोपरि मानें। आध्यात्मिकता से प्रेरणा लेकर आधुनिक तकनीक व सोच को अपनाएं। यही वह रास्ता है जो हमें एक संतुलित, प्रगतिशील और सशक्त समाज की ओर ले जाएगा। इस दिशा में कदम बढ़ाकर ही हम सच्चे ‘रामराज्य’ की स्थापना का सपना साकार कर सकते हैं।

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