राहु की महादशा : ज्योतिष गणना में वर्णित नवग्रहों की महादशा या अंतर्दशा का सामना प्रत्येक मनुष्य को सामना जरूर करना पड़ता है। इन दशाओं के शुभ–अशुभ दोनों फल मिलते हैं. आज हम राहु की महादशा के बारे में बात कर रहे हैं.कुंडली में राहु की स्थिति कमजोर होने पर महादशा में मानव को सफलता पाने में बहुत संघर्ष की स्थिति देखने को मिलता है। बता दें, राहु एक मायावी ग्रह है जो महादशा के दौरान जातक को सामाजिक व आर्थिक उतार–चढ़ाव का अनुभव कराता है.
राहु की महादशा इतने वर्ष
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु की महादशा 18 वर्षों की होती है. राहु की महादशा में 3, 6 या 9 वर्षों में सकारात्मक व नकारात्मक रहते हैं. राहु की महादशा छठे और आठवें वर्ष में सबसे ज्यादा कष्टकारी होती है.
राहु की महादशा शुभ फल देती है: राहु की स्थिति पर महादशा के परिणाम निर्भर करते हैं. जन्मकुंडली में राहु की शुभ स्थिति होने पर मायावी ग्रह जातक को रंक से राजा बना देता है और अशुभ स्थिति में होने पर राजा से रंक बनाने में पल भर नहीं लगाता है. राहु की शुभ स्थिति में जातक खूब मान–सम्मान, पद व पैसा हासिल करते हैं.
कुंडली के एकादश भाव यानी लाभ भाव में यदि राहु आसीन हो, तो यह अत्यंत शुभ फल प्रदायक होता है. व्यक्तित्व में बला का आकर्षण होता है. इनकी कीर्ति चहुंओर फैलती है. ये लोग फ़र्श से अर्श तक का सफ़र करते हैं. जीवन अपार धन अर्जित करते हैं. समृद्ध लोगों में इनकी गणना होती है. मितभाषी होते हैं. विदेश या विदेशियों के द्वारा बड़े लाभ का मार्ग प्रशस्त होता है. कई बार ये उचित माध्यमों से इतर धन लाभ के प्रयास में कामयाब हो सकते हैं. उत्तम वाहन का सुख मिलता है.
कालांतर में लोग आपको अभिमानी समझने लगते हैं. हद तक अभिमानी हो सकते हैं. यह राहु असंभव प्रतीत होने वाली इच्छाओं की पूर्ति का भी मार्ग प्रशस्त करता है. यह योग जीवन के अरिष्टों का नाश करने वाला होता है. शारीरिक रूप से ये बली और हष्ट–पुष्ट होते हैं. श्रमसाध्य कार्यों में अग्रणी होते हैं. साथ ही भोग–विलास में भी रुचि होती है. कवि हृदय हो सकते हैं. आयु दीर्घ होती है. इंद्रियों पर नियंत्रण करके ये लोग मानव से महामानव बन सकते हैं. शास्त्रों का गहरा ज्ञान होता है. इसलिए समाज में विद्वान माने जाते हैं. स्वभाव चंचल होता है. विनोदप्रिय होते हैं. इनके मित्र चतुर लोगों में गिने जाते हैं.
दोष मुक्ति के लिए करें ये उपाय
राहु की दशा में जातक को हर सोमवार को भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए और शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए.
राहु महादशा में जातक को हर शनिवार के दिन बरगद के पेड़ की पूजा करनी चाहिए.
राहु के उपाय के लिए “ॐ रां राहवे नमः” मंत्र का जाप करें. राहु काल के दौरान, रोज़ 108 बार मंत्र का जाप करना फ़ायदेमंद माना जाता है.
राहु को प्रसन्न करने के लिए, शनिवार को बहते पानी में काले तिल चढ़ाएं.
राहु से जुड़ा हेसोनाइट (गोमेद) रत्न पहनने से राहु की ऊर्जा संतुलित होती है.
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