मनोज तिवारी मौत मामला : आरोपियों की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज, गिरफ्तारी में ढील से पुलिस पर उठे सवाल!

ब्राम्हण युवा संगठन सचिव मनोज तिवारी

महासमुंद जिले के कोमाखान क्षेत्र में सेल्समैन मनोज तिवारी की संदिग्ध मौत के मामले में अदालत ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए तीन आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। इसके बाद, एक अन्य आरोपी ने भी याचिका दायर की है, जिस पर मंगलवार को सुनवाई होनी है। अदालत के इस फैसले ने मामले में नया मोड़ ला दिया है, लेकिन पुलिस की जांच और गिरफ्तारी में हो रही देरी पर सवाल अभी भी बरकरार हैं। आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से समाज में आक्रोश फैल गया है और लोगों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। अदालत के फैसले के बाद अब सभी की नजरें पुलिस की अगली कार्रवाई पर हैं। क्या पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करेगी या मामला और लंबा खिंचेगा, यह देखना बाकी है।

मनोज तिवारी की मौत को तीन महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन पुलिस ने इस मामले में देरी से कार्रवाई करते हुए प्रताड़ना और ब्लैकमेलिंग की FIR दर्ज की। FIR में जिला सहकारी बैंक के मैनेजर नरेंद्र ठाकुर, कसेकेरा समिति प्रबंधक हलधर यादव, और धान व्यापारी गिरीश चक्रधारी के नाम शामिल हैं। इन पर आरोप है कि उन्होंने मनोज तिवारी को ब्लैकमेल और मानसिक उत्पीड़न किया, जिससे वह आत्महत्या के लिए मजबूर हुए।

हालांकि, पुलिस की तरफ से की जा रही जांच पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। FIR दर्ज होने के बावजूद पुलिस अब तक किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है, जिससे क्षेत्र में नाराजगी बढ़ती जा रही है। इस देरी के चलते, समाज के लोगों में पुलिस के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी जा रही है।

सर्विलांस टीमों को किया तैनात : टीआई

पुलिस ने यह दावा किया है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च अधिकारियों के निर्देश पर जांच में तेजी लाई जा रही है और सर्विलांस टीमों को भी तैनात किया गया है। कोमाखान थाना प्रभारी नीतिश सिंह का कहना है कि जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी और ठोस सबूत जुटाए जा रहे हैं।

घटना से जुड़ी खास जानकारी :

मामला: कोमाखान क्षेत्र में सेल्समैन मनोज तिवारी की संदिग्ध मौत, पुलिस पर जांच में देरी के आरोप।

FIR दर्ज: तीन महीने बाद पुलिस ने प्रताड़ना और ब्लैकमेलिंग की FIR दर्ज की।

अग्रिम जमानत: तीन आरोपियों – बैंक मैनेजर नरेंद्र ठाकुर, कसेकेरा समिति प्रबंधक हलधर यादव, और धान व्यापारी गिरीश चक्रधारी – की अग्रिम जमानत याचिका खारिज।

आरोप: आरोपियों पर मानसिक उत्पीड़न और ब्लैकमेलिंग का आरोप, जो तिवारी की आत्महत्या का कारण बना।

पुलिस कार्रवाई: पुलिस अब तक आरोपियों को गिरफ्तार करने में नाकाम, जांच में तेजी लाने का दावा।

समाज में आक्रोश: कोमाखान विप्र समाज के लोगों ने पुलिस के खिलाफ ज्ञापन सौंपा, त्वरित कार्रवाई की मांग।

अदालत की सुनवाई: एक अन्य आरोपी की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी, हाईकोर्ट में जमानत की तैयारी।

परिवार की स्थिति: मनोज की मौत के बाद पिता का भी निधन, परिवार की हालत नाजुक।

*मनोज तिवारी की मौत का मामला*: आंदोलन की तैयारी कर रहे ब्राह्मण समाज ने कहा- आरोपियों को बचाव का मौका दे रही पुलिस

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