*मनोज तिवारी की मौत का मामला*: आंदोलन की तैयारी कर रहे ब्राह्मण समाज ने कहा- आरोपियों को बचाव का मौका दे रही पुलिस

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महासमुंद जिले के कोमाखान क्षेत्र में सेल्समैन मनोज तिवारी की संदिग्ध मौत के मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। मनोज की मौत को चार महीने बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस अब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं कर पाई है। इस देरी के कारण समाज के लोगों में गुस्सा बढ़ गया है और उन्होंने पुलिस के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है।

गुरुवार को कोमाखान विप्र समाज के युवाओं ने पुलिस को ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने तिवारी की मौत के मामले में शीघ्र कार्रवाई की मांग की। ज्ञापन देने वालों में सपन उपाध्याय, देवव्रत शर्मा, टिंकु उपाध्याय, अनिल शास्त्री, राजा शर्मा, जितेन्द्र खरे, और सौरभ उपाध्याय शामिल थे। युवाओं ने पुलिस को बताया कि चार महीने के बाद भी इस मामले में नामजद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई में देरी हो रही है, जिससे समाज के लोग नाराज और उग्र हो गए हैं।

कोमाखान पुलिस ने मनोज तिवारी की संदिग्ध मौत के मामले में तीन महीने बाद प्रताड़ना की FIR दर्ज की। हालांकि, अब तक पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया है। पुलिस ने बताया कि नामजद आरोपियों में जिला सहकारी बैंक के मैनेजर नरेंद्र ठाकुर, कसेकेरा समिति प्रबंधक हलधर यादव, सेल्समैन धुपसिंग ठाकुर, और धान व्यापारी गिरीश चक्रधारी शामिल हैं। इन पर ब्लैकमेलिंग और मानसिक उत्पीड़न के आरोप हैं, जो तिवारी की आत्महत्या का कारण बने।

*बहुत जल्द होगी गिरफ़्तारी : पुलिस*

मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है। कोमाखान टीआई नीतिश सिंह ने बताया कि मामले की जांच में जुटी टीमें जल्द ही ठोस सबूत एकत्र कर आरोपियों को गिरफ्तार करेंगी। पुलिस का दावा है कि उच्च अधिकारियों के निर्देश पर मामले की गहन जांच की जा रही है और सर्विलांस टीमों को तैनात किया गया है।

*परिवार में शोक पर शोक*

मनोज तिवारी की मौत ने उनके परिवार पर गहरा प्रभाव डाला है। उनके पिता की भी तीन महीने के भीतर मौत हो गई, जिससे परिवार की जिम्मेदारी पूरी तरह से उनकी मां पर आ गई है। मनोज के परिवार की स्थिति बेहद कठिन हो गई है, और उनकी मां की तबीयत भी नाजुक है।

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