नरबलि’ अर्थात खून-खौफ और अंधविश्वास की अंधी दुनिया

ऐसे तो नरबलि की शुरुआत खंगालने के लिए कालांतर में जितना, झांकेगे इसका इतिहास उतना ही पुराना सामने आता जाएगा. हां, यदि इस घिनौनी प्रथा को खत्म करने के उपायों पर नजर डालेंगे तो, आज इसे रोकने के लिए कानून तो है, लेकिन, कहीं न कहीं अब भी रुह कंपा देने वाली कहानियों की इबारतें लिख गढ़ देती है.

स्वयं की खुशियों की खातिर किसी की हत्या कर डालना भला किसी पूजा-अनुष्ठान को कामयाब कैसे बना सकता है? यह तो सीधे-सीधे कत्ल अर्थात नरबलि सी कलंकित प्रथा का घिनौना चेहरा भर ही हो सकता है. आइए एक नजर डालते हैं हिंदुस्तान में घटित नरबलि की उन सनसनीखेज घटनाओं पर, जिन्हें अंजाम देने वालों ने न केवल अपनी खुशी की खातिर किसी का कत्ल किया. साथ ही इंसानियत पर भी कभी न मिलने वाला दाग लगा दिया.

तीन घटनाओं ने छत्तीसगढ़ को हिला दिया

21 अक्टूबर 2011 को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के जेलबाड़ा इलाके में रहने वाली ललिता नाम की बच्ची की नरबलि दे डाली गई. नरबलि चढ़ाए जाने के एक सप्ताह बाद तक बच्ची का कोई पता नहीं लगा था. जंगल में जब लाश बरामद हुई तो पता चला कि उसकी तो नरबलि दी जा चुकी है. 31 दिसंबर 2011 को बीजापुर पुलिस ने दो लोगों को हिरासत में ले लिया. उन दोनो ने नरबलि का गुनाह कबूल कर लिया.

साल 2011 में 23 नवंबर को छत्तीसगढ़ के भिलाई में रूआबांधा बस्ती निवासी पोषण सिंह राजपूत का परिवार कसारीडीह गया हुआ था. तभी उनके दो साल के बेटे का अपहरण कर लिया गया. तीन दिन बाद बच्चे के लाश रूआबांधा इलाके में स्थित एक घर से मिली. उसकी भी नरबलि दी जा चुकी थी. बच्चे की बलि ईश्वर यादव ने पत्नी किरण के साथ मिलकर दी थी. वो खुद को तांत्रिक बताता था. नरबलि देने वाला दंपत्ति बच्चे का पड़ोसी था. दंपत्ति ने अपहरण के तीन दिन बाद मासूम चिराग की बलि दे दी थी. साल 2014 में कोर्ट से दंपत्ति को सजा-ए-मौत सुनाई गई.

23 मार्च 2015 को नरबलि की एक घटना घटी थी छत्तीसगढ़ के उत्तरी बस्तर जिले में. जहां पखांजुर थाना इलाके के विद्यानगर गांव में एक बच्चे की बलि दे डाली गई. नरबलि चढ़ाए गए स्वरोजित अधिकारी की उम्र महज तब 8 साल थी. उसकी लाश सितरम गांव के करीब पड़ी मिली थी. नरबलि चढ़ाए जाने से पहले यानी 23 मार्च 2015 को बच्चा आखिरी बार अपने रिश्तेदार समीर के साथ देखा गया था. पुलिस ने जब आरोपी को गिरफ्तार किया तो उसने बच्चे की नरबलि देने का गुनाह कबूल लिया था.

लातेहार में दो बच्चियों की बलि

11 जुलाई 2019 को झारखंड के लातेहार में सेमरहट गांव की दो बच्चियों की बलि चढ़ा दी गई. लाशें रेत के ढेर में दबी मिली थीं. उस मामले में सुनील उरांव को गिरफ्तार किया गया था, तो उसने नरबलि देने का गुनाह कबूल लिया था. दोनो लड़कियों का कत्ल घर के भीतर किया गया था. इसकी चुगली घर की दीवारों पर मौजूद खून के धब्बे कर रहे थे. हालांकि, आरोपी ने खून के धब्बों को मिटाने की लाख कोशिश की थी. बावजूद इसके धब्बे मौके पर अनहोनी घटने की खुलकर गवाही दे रहे थे.

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